131 वीं जयंती पर विशेष : आंकड़ों के जादूगर महालनोबिस के रिसर्च आज भी हैं खास

Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now
WhatsApp Channel Join WhatsApp

रायपुर : सामाजिक, आर्थिक नियोजन और नीति तैयार करने में आंकड़ों की काफी अहमियत होती है। इसके बगैर कोई भी बड़ा सर्वे, रिसर्च, मुल्यांकन पूरा नहीं किया जा सकता है। इसलिए आंकड़ों के जादूगर महालनोबिस के रिसर्च आज भी खास हैं, जिनके बगैर किसी भी कार्य या रोजमर्रा के जीवन को पूरा नहीं किया जा सकता है। पं.रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के सांख्यिकी अध्ययन शाला के अध्यक्ष प्रो. व्यास दुबे का कहना है कि आंकड़े के बगैर किसी भी योजना का मूल्यांकन करना संभव नहीं। हर वर्ष विवि में सांख्यिकी दिवस पर कई रोचक जानकारी युवाओं में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से दी जाती है। इसके पीछे सिर्फ यही है कि स्टूडेंट्स के साथ आंकड़ों को लगातार कैसे अपडेट किया जाए। इसके लिए उन्हें प्रेरित किया जाता है।


सांख्यिकी के महत्व को पहचानने और इसे लोगों के बीच चर्चित करने के लिए हर वर्ष 29 जून को नेशनल स्टैटिसटिक्स या राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो कि 29 जून को यह दिन सेलिब्रेट करने की वजह है यह है कि आज के दिन प्रोफेसर प्रशांत चंद महालनोबिस का जन्म हुआ था, जिनका राष्ट्रीय सांख्यिकी को स्थापित करने में महान योगदान रहा है। डॉ. दुबे कहते हैं कि बगैर आंकड़े यानी गुणा-भाग हुए किसी योजना का निर्माण नहीं किया जा सकता है।


मौजूदा समय में आंकड़े तैयार करना पहले की अपेक्षा सरल हो गया, क्योंकि मशीनीकरण के इस युग में गुणांक करना आसान है, जबकि पहले इस तरह की व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण कई योजना ठंडे बस्ते में चली गई हैं। सांख्यिकी के गेस्ट फैकेल्टी डॉ. प्रदीप चौरसिया कहते हैं कि किसी भी राष्ट्र की योजना की संरचना में सांख्यिकी का महत्वपूर्ण स्थान है। विविध प्रकार के कानूनों के निर्माण एवं उन पर मत जानने, बजट बनाने, आयात-निर्यात, रोजगार प्राप्त करने के लिए सांख्यिकी आंकड़े एकत्रित किए जाते हैं। पहले की अपेक्षा यदि देखा जाए तो सर्वे करना और डाटा कलेक्ट करने में डिजिटिलाइजेशन का अहम रोल है, जिसका प्रभाव आम आदमी के जीवन के साथ ही सांख्यिकी पर भी हुआ है।


रविवि में एमएससी सांख्यिकी से पढ़ाई करने के लिए कुल 32 सीटें हैं, जहां पर छात्र पढ़ाई कर प्रदेश भर के कई प्रमुख संस्थानों में सांख्यिकी एक्सपर्ट के रूप में नौकरी कर रहे हैं। इसी तरह से रिसर्च के रूप में छात्र सांख्यिकी पर पीएचडी कर रहे हैं। हालांकि सांख्यिकी मे बीएससी स्थर पर पढ़ाई नहीं शुरू होने के कारण छात्रों को अन्य राज्यों में पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है।


प्रशांत चंद्र महालनोबिस का 29 जून, 1893 को कोलकाता में हुआ था। 1908 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद प्रेसीडेंसी कॉलेज से भौतिकी विषय में ऑनर्स करने के बाद उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए लंदन चले गए। वहां उन्होंने कैंब्रिज युनिवर्सिटी से भौतिकी और गणित दोनों विषयों से डिग्री हासिल की। ये एकमात्र छात्र थे, जिन्होंने भौतिकी में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के दौरान उन्होंने कृषि और बाढ़ नियंत्रण के क्षेत्र में कई अभिनव प्रयोग किए। बाढ़ नियंत्रण के उपायों पर अमल करते हुए भारत सरकार को इस दिशा में अप्रत्याशित सफलता मिली।