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NIRASA | 263 करोड़ की लागत से बराकर नदी पर बनेगा पुल, धनबाद से जामताड़ा के बीच 45 किलोमीटर की दूरी हो जाएगी कम, श्रेय लेने के लिए झामुमो व भाजपाईयों के बीच मची होड़

NIRASA | 263 करोड़ की लागत से बराकर नदी पर बनेगा पुल, धनबाद से जामताड़ा के बीच 45 किलोमीटर की दूरी हो जाएगी कम, श्रेय लेने के लिए झामुमो व भाजपाईयों के बीच मची होड़

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DHANBAD | झारखंड कैबिनेट ने निरसा-जामताड़ा पथ पर बराकर नदी पर 263 करोड़ रुपये की लागत से पुल निर्माण योजना पर सहमति दे दी है. प्रस्तावित पुल की लंबाई 1584 मीटर होगी. पुल निर्माण के बाद धनबाद से जामताड़ा के बीच 45 किलोमीटर की दूरी कम हो जायेगी. पुल का निर्माण झारखंड राज्य राजमार्ग प्राधिकार के माध्यम से कराया जायेगा. बताते चलें कि 2009 में निर्माणाधीन बारबेंदिया पुल टूट गया था. उसके बाद से ही पुल का निर्माण ठप है. वहीं मंत्रिमंडल ने त्रिस्तरीय पंचायतों के लिए ‘मुख्यमंत्री प्रोत्साहन पुरस्कार योजना’ को मंजूरी दी. बारबेदिया पुल को लेकर भाजपा व झामुमो में मची श्रेय लेने की होड़ इधर निरसा-जामताड़ा को जोड़ने वाले बारबेंदिया पुल निर्माण की घोषणा होते ही भाजपा व झामुमो के बीच श्रेय लेने की होड मच गयी है. शुक्रवार 6 अक्टूबर को भाजपा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता व झामुमो के जिलाध्यक्ष लक्खी सोरेन अपने-अपने कार्यकर्ताओं के साथ बारबेंदिया पुल पहुंचे. दोनों ही पार्टी के कार्यकर्ताओं में काफी खुशी देखी गयी. भाजपा के कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी, बाबूलाल मरांडी व विधायक अपर्णा सेनगुप्ता तो झामुमो के लोग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पक्ष में जमकर नारेबाजी करते रहे. दोनों ही दलों के लोग व नेता पुल निर्माण की मंजूरी को अपनी पार्टी के संघर्षों के परिणाम बता रहे थे. हालांकि लगभग 14 साल के इंतजार के बाद एक अदद पुल के निर्माण लिए किसने कितना संघर्ष किया, किसने आवाज उठाई, किसके प्रयासों से काम शुरू होगा, इन सब बातों का हिसाब जनता जर्नादन के पास है. बतातें चलें कि निरसा होकर बहने वाली बराकर नदी पर बारबेंदिया पुल की नीव वर्ष 2007-2008 में राज्य की मंत्री अपर्णा सेनगुप्ता द्वारा रखी गयी थी. करीब साढ़े तीन किलोमीटर लंबे पुल के लिए उस समय लगभग 55 करोड़ प्राक्कलन राशि तय थी. निर्माण के दौरान ही भारी बारिश के चलते वर्ष 2008 में पुल के चार पिलर ढह गये. जब अरूप चटर्जी विधायक बने तो उन्होंने विधानसभा में पुल के निर्माण की मांग की. पुल बन जाने से राज्य के आठ जिले सीधे तौर पर एक-दूसरे से जुड़ जाएंगे. निरसा से जामताड़ा की दूरी चित्तरंजन होते हुए करीब 65 से 70 किलोमीटर है. पुल निर्माण होने से यह दूरी मात्र 25 किलोमीटर रह जाएगी. इसके अलावा कोयलांचल का धनबाद, बोकारो, गिरिडीह व संताल परगना का जामताड़ा, देवघर, दुमका, गोड्डा का सीधा जुड़ाव हो जाएगा. इससे क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ेगा. विशेषकर निरसा व जामताड़ा क्षेत्र का विकास भी तेज होगा. विधायक अपर्णा सेनगुप्ता कहती हैं कि सदन से लेकर सड़क तक लंबी लड़ाई लड़ने के बाद आज निरसा विधानसभा क्षेत्र की जनता को बताते हुए खुशी हो रही है कि 263 करोड की लागत से बारबेंदिया पुल निर्माण की स्वीकृति कैबिनेट से मिल गयी है. यह झारखंड का अब तक का सबसे बड़ा पुल होगा, जिसकी लंबाई 1.50 किलोमीटर होगी. पुल के बन जाने से संथाल परगना व कोयलांचल के विकास का मार्ग खुलेगा. उन्होंने दावा किया कि कई बार सदन से सड़क तक पुल की मांग पुरजोर ढंग से रखने का काम किया. झामुमो के जिलाध्यक्ष लक्खी सोरेन पुल निर्माण का श्रेय हेमंत सरकार को देते हैं. उनका कहना है कि पुल निर्माण की मांग वर्षो पुरानी है. जब-जब चुनाव का समय आया, लोगों की नींद खुली. किसी भी सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया. परंतु झामुमो की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्य के चौमुखी विकास के कार्य में लग गये. राज्य में विकास की गाथा लिखी जाने लगी. बारबेंदिया पुल भी इसी की एक कड़ी है. -साभार

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