Bollywood Actor Govinda | गोविंदा, बॉलीवुड के उन चहेते सितारों में से एक हैं जिनकी पहचान एक शानदार अभिनेता, नर्तक और कॉमेडियन के रूप में होती है। उनका असली नाम गोविंद अरुण आहूजा है। उन्होंने 1980 और 1990 के दशक में हिंदी सिनेमा पर राज किया, खासकर अपनी जबरदस्त कॉमिक टाइमिंग और बेहतरीन डांस मूव्स के कारण। उनकी फिल्मों ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर बड़ी कामयाबी हासिल की, बल्कि गोविंदा ने अपने अनूठे अभिनय और ऊर्जा के दम पर लाखों लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी।
प्रारंभिक जीवन
गोविंदा का जन्म 21 दिसंबर 1963 को महाराष्ट्र के विरार में हुआ था। उनके पिता अरुण कुमार आहूजा एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता और निर्माता थे, और उनकी मां निर्मला देवी एक क्लासिकल गायिका थीं। गोविंदा का परिवार फिल्मों से जुड़ा था, लेकिन उनके बचपन में आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। गोविंदा छह भाई-बहनों में सबसे छोटे थे, और उनके परिवार को कठिन हालातों का सामना करना पड़ा, जिससे गोविंदा को बचपन से ही संघर्ष का महत्व समझ में आ गया।
विरार जैसे छोटे से कस्बे से ताल्लुक रखने के कारण गोविंदा ने वहां की साधारण जिंदगी जी और उन्हें फिल्मों की चकाचौंध से दूर ही रखा गया। उन्होंने मुंबई के अणुशक्ति नगर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की और बाद में कॉमर्स में स्नातक की पढ़ाई की। गोविंदा की बचपन से ही रुचि डांस और एक्टिंग में थी, और वह बॉलीवुड में अपना करियर बनाने का सपना देखते थे।
करियर की शुरुआत
गोविंदा का फिल्मी करियर 1986 में शुरू हुआ, जब उन्होंने फिल्म ‘इल्ज़ाम’ से बॉलीवुड में कदम रखा। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता पाई और गोविंदा रातों-रात स्टार बन गए। उनकी मासूमियत और नृत्य कौशल ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया। इसके बाद उन्होंने ‘लव 86’, ‘शोला और शबनम’, ‘खुदगर्ज़’, और ‘जीते हैं शान से’ जैसी कई हिट फिल्में दीं, जिससे वह एक सशक्त अभिनेता के रूप में उभर कर सामने आए।
1990 का दशक: सुपरस्टारडम का युग
1990 का दशक गोविंदा के करियर का सुनहरा दौर था। इस समय में उन्होंने कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं जो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुईं। खासकर डेविड धवन के साथ उनकी जोड़ी ने कई हिट कॉमेडी फिल्में दीं। गोविंदा और डेविड धवन की जोड़ी ने ‘आंखें’, ‘कुली नंबर 1’, ‘राजा बाबू’, ‘हीरो नंबर 1’, ‘दूल्हे राजा’ और ‘हसीना मान जाएगी’ जैसी हिट फिल्मों के जरिए दर्शकों का दिल जीता।
इस दौर में गोविंदा ने अपने डांस के अलग अंदाज और कॉमिक टाइमिंग से खुद को एक मल्टीटैलेंटेड स्टार के रूप में स्थापित किया। उनका ‘स्ट्रीट डांसिंग’ स्टाइल खासा लोकप्रिय हुआ, और उनके गानों ने युवाओं में एक नई लहर पैदा कर दी। गोविंदा के डांस स्टेप्स, खासकर ‘मैं तो रस्ते से जा रहा था’, ‘सरकाई लो खटिया’, और ‘आ क्या बोलती तू’ जैसे गाने आज भी लोगों के बीच उतने ही लोकप्रिय हैं।
कॉमेडी के बादशाह
गोविंदा की कॉमेडी टाइमिंग बेमिसाल थी। वह अपनी फिल्मों में कॉमेडी के साथ इमोशन्स को भी बखूबी निभाते थे। उनकी अदाओं और संवाद अदायगी ने उन्हें ‘कॉमेडी किंग’ बना दिया। खासकर उनकी अदाकारी में स्वाभाविकता थी, जो उनकी फिल्मों को अलग बनाती थी। वह किरदारों को जीवंत करने की क्षमता रखते थे, चाहे वह ‘राजा बाबू’ का मासूम और नटखट किरदार हो या ‘दूल्हे राजा’ का शरारती अंदाज।
पुरस्कार और सम्मान
गोविंदा को उनकी अदाकारी के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्होंने फिल्मफेयर पुरस्कार, स्टारडस्ट पुरस्कार, ज़ी सिने पुरस्कार और कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त किए। 1999 में उन्हें फ़िल्म ‘साजन चले ससुराल’ के लिए फ़िल्मफ़ेयर में बेस्ट कॉमेडियन का अवॉर्ड मिला। इसके अलावा, उन्हें उनके बेहतरीन डांस और कॉमिक स्किल्स के लिए कई बार सराहा गया है।
राजनीतिक करियर
2004 में गोविंदा ने अपने फिल्मी करियर से ब्रेक लिया और राजनीति में कदम रखा। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर मुंबई नॉर्थ से लोकसभा चुनाव लड़ा और विजय हासिल की। उनके राजनीतिक जीवन में भी उन्हें काफी लोकप्रियता मिली, लेकिन राजनीति की जटिलताओं और फिल्मी दुनिया की चमक-धमक के बीच संतुलन बनाना उनके लिए कठिन साबित हुआ। इसके बाद, उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली और फिर से फिल्मी दुनिया की ओर लौट आए।
गोविंदा का निजी जीवन
गोविंदा की निजी जिंदगी भी काफी दिलचस्प है। उन्होंने 1987 में सुनीता आहूजा से शादी की, जो कि उनके परिवारिक मित्रों के माध्यम से मिली थीं। दोनों के दो बच्चे हैं, बेटी टीना आहूजा और बेटा यशवर्धन आहूजा। टीना आहूजा ने भी फिल्मों में अपना करियर शुरू किया है, जबकि यशवर्धन फिल्म निर्माण में रुचि रखते हैं। गोविंदा का परिवार के प्रति समर्पण हमेशा से देखा गया है। वे एक परिवारिक इंसान हैं और अपने परिवार के साथ वक्त बिताना पसंद करते हैं।
वापसी का दौर
2000 के दशक के मध्य में गोविंदा का करियर कुछ ठहर सा गया था, लेकिन 2007 में फिल्म ‘पार्टनर’ के साथ उन्होंने धमाकेदार वापसी की। सलमान खान के साथ उनकी यह फिल्म सुपरहिट रही और गोविंदा को फिर से बॉक्स ऑफिस पर सफलता का स्वाद चखाया। इस फिल्म के बाद उन्होंने ‘भागमभाग’, ‘लाइफ पार्टनर’, और ‘हैप्पी एंडिंग’ जैसी फिल्मों में भी काम किया।
हालांकि, गोविंदा का फिल्मी करियर अब पहले जैसा नहीं रहा, लेकिन उनके फैंस उन्हें आज भी उतनी ही मोहब्बत और इज्जत देते हैं। गोविंदा की फिल्में, उनके डांस और उनका स्टाइल आज भी बॉलीवुड में एक आइकॉनिक स्टेटस रखता है।
गोविंदा की लोकप्रियता
गोविंदा की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह 1990 के दशक में सबसे ज्यादा फीस लेने वाले अभिनेताओं में से एक थे। उनके नाम के साथ फिल्में हिट होने की गारंटी मानी जाती थी। गोविंदा ने अपने अनूठे अंदाज, ऊर्जा और अभिनय से बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई, जो उन्हें बाकी अभिनेताओं से अलग बनाती है।
उनका फैशन सेंस, खासकर रंग-बिरंगे कपड़े और तेजतर्रार गाने, एक समय में बॉलीवुड की पहचान बन गए थे। गोविंदा के कई डायलॉग्स जैसे ‘अपुन वो चीज़ है जो बिन बुलाए आता है’ और ‘अच्छा तो हम चलते हैं’ आज भी फेमस हैं।
गोविंदा की फिल्मी यात्रा एक प्रेरणा है। एक छोटे से शहर के लड़के से लेकर बॉलीवुड के सुपरस्टार बनने तक का उनका सफर संघर्षों और मेहनत से भरा रहा है। उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और काबिलियत के दम पर एक ऐसा मुकाम हासिल किया है, जिसे बॉलीवुड में हमेशा याद किया जाएगा। उनके अभिनय की विविधता, डांसिंग स्किल्स और कॉमेडी ने उन्हें एक ऐसा कलाकार बनाया है जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में हमेशा अमर रहेगा।