KATRAS | कतरास की सड़कों पर दुकानदारों का हुआ एक बार फिर कब्जा, जाम की समस्या बरकरार

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KATRAS | कतरास से धनबाद जाने वाला मेन रोड कुछ माह पूर्व चौड़ा दिखाई पड़ता था आज एक बार पुनः सिकुड़ कर छोटा हो गया. बताते चलें कि कुछ माह पूर्व नाली की सफाई एवं यातायात व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए नगर निगम ने कतरास में अतिक्रमण अभियान चलाया था. नगर निगम के अतिक्रमण अभियान से पूरे कतरास में हड़कंप मचा था जिसमें अतिक्रमण करने वाले दुकानदारों में भी भय था. इसका कारण था निगम अतिक्रमण करने वाले दुकानदारों पर तुरंत कार्रवाई करते हुए उन पर जुर्माना लगायी जा रही थी. नगर निगम की टीम ने दुकानदारों को नाली को अतिक्रमण मुक्त रखने एवं दुकान के बाहर निकले सेड को हटाने के लिए बोला गया था जिसके बाद से सभी दुकानदारों ने रोड एवं नाली के ऊपर लगे करकट सीट एवं शेड को खोल दिया था और रोड पर किसी प्रकार की सामग्री को नहीं रख रहे थे. कुछ माह बीतने के बाद नगर निगम का अतिक्रमण हटाओ अभियान ठंडे बस्ते में चला गया. जिसके बाद दुकानदारों ने दोबारा सड़क और नाली के ऊपर अतिक्रमण करने लगे.कतरास के मेन रोड में कुछ ऐसे भी दिलेर दुकानदार हैं जिनको ना तो प्रशासन और न ही नगर निगम का भय है उन्हें ठेंगा दिखाते हुए नाली तो नाली सड़क के ऊपर लोहे का एंगल लगाकर अपनी एक दुकान को सड़क पर ला दिए हैं. यदि नगर निगम इसी तरह से हाथ पर हाथ धरकर बैठी रही तो आने वाले दिन में सड़के संकुचित हो जाएंगी जिससे यातायात की समस्या उत्पन्न हो जाएगी.कतरास में वर्षो से जाम की समस्या को झेलते आ रहा है दोपहर में स्कूल की छुट्टी होने के बाद स्कूल के बस सड़क के दोनों तरफ जाम में फंस जाते हैं मोटरसाइकिल सवार अपनी मोटरसाइकिल को रोड पर ही लगा देते हैं उन्हें पार्किंग की जगह नहीं मिल पाती है.वही कतरास में जाम की समस्या का दूसरा बड़ा कारण हैं शहर में अत्यधिक टोटो वाहन का होना जिसे काफी संख्या में नाबालिग बच्चे चलाते हैं. जो जहाँ तहां रोड में खड़ा कर देते हैं जिससे जाम की समस्या बनी रहती है. दुकानदारों के द्वारा लोहे के एंगल को रोड तक बढ़ाकर उस पर कपड़े और झंडे लगाकर पूरे रोड की घेराबंदी कर लिया जाता है रोड पर चलने वाले आम आदमी को आने जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.जिसके कारण हमेशा जाम की समस्या बनी रहती है. यह तो कटु सत्य है भय बिन प्रीत नहीं होती बिना भय के दुकानदार या टोटो चलाक नहीं सुनने वाले हैं जिला प्रशासन एवं नगर निगम को इस पर पहल करना चाहिए.

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