Shia-Sunni Conflict in Pakistan: पाकिस्तान में शिया-सुन्नी विवाद में 150 से अधिक मौतों के बाद सीजफायर की पहल

Shia-Sunni Conflict in Pakistan

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Shia-Sunni Conflict in Pakistan: पाकिस्तान में लंबे समय से जारी शिया और सुन्नी समुदायों के बीच की हिंसा ने एक भीषण रूप धारण कर लिया है। अब तक 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हाल ही में, रविवार को हुए संघर्ष में 21 और लोगों की मृत्यु हो गई, जिसके बाद दोनों पक्षों ने सीजफायर पर सहमति व्यक्त की।

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इस हृदयविदारक संघर्ष के बाद दोनों संप्रदायों के वरिष्ठ नेताओं के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई। इसमें यह निर्णय लिया गया कि आगामी सात दिनों तक दोनों समुदाय संघर्षविराम का सख्ती से पालन करेंगे।

हिंसा का बढ़ता दायरा

शनिवार तक हिंसा में मृतकों की संख्या 82 तक पहुंच चुकी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, मरने वालों में 16 सुन्नी और 66 शिया समुदाय के थे। हालांकि, खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) प्रांत के कुर्रम जनजातीय जिले में यह हिंसा 21 नवंबर को प्रारंभ हुई, लेकिन शिया और सुन्नी समुदायों के बीच विवाद वर्षों से चला आ रहा है।

बीते कुछ महीनों में, इस हिंसा ने 150 से अधिक लोगों की जान ले ली है। कुर्रम जिले में, 21 नवंबर को शिया समुदाय के एक काफिले पर घात लगाकर हमला किया गया था। इस हमले में 42 लोगों की मौत हुई, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच प्रतिशोध की घटनाएं बढ़ती गईं।

शांति के लिए उच्चस्तरीय प्रयास

विवाद बढ़ता देख, केपीके प्रांत की सरकार ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए एक उच्च स्तरीय आयोग का गठन किया। सरकारी प्रवक्ता बैरिस्टर मुहम्मद अली सैफ ने बताया कि दोनों समुदायों के वरिष्ठ नेताओं के बीच कैदियों और मृतकों के शवों की अदला-बदली पर सहमति बनी।

बैठक में यह तय किया गया कि जो लोग इस हिंसा में बंदी बनाए गए हैं, उन्हें रिहा किया जाएगा। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा, मारे गए लोगों के शव उनके समुदायों को सौंप दिए जाएंगे।

सरकार की भूमिका

सैफ ने यह भी बताया कि सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने पहले शिया जनजाति के नेताओं से मुलाकात की और उसके बाद सुन्नी जनजाति के नेताओं से बातचीत की। इन वार्ताओं के बाद युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए, और प्रतिनिधिमंडल ने पेशावर लौटकर इसकी पुष्टि की।

निष्कर्ष

इस विवाद से प्रभावित लोगों के लिए सीजफायर एक आशा की किरण है। हालांकि, यह केवल शुरुआती कदम है, और दोनों समुदायों के बीच स्थायी शांति स्थापित करने के लिए और भी ठोस प्रयासों की आवश्यकता होगी।