World Cerebral Palsy Day 2024 : समावेशी शिक्षा के झरिया रिसोर्स सेंटर में दिव्यांग बच्चों ने केक काटकर सेलीब्रेट किया विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस

World Cerebral Palsy Day 2024

World Cerebral Palsy Day 2024 : आधुनिकता की होड़ और असंयमित जीवन शैली के बीच बच्चों में होने वाली दिव्यांगता में सेरेब्रल पाल्सी की अधिकता देखी जा रही है: फिजियोथेरेपिस्ट डॉ मनोज सिंह

झरिया: विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस पर समावेशी शिक्षा के झरिया रिसोर्स सेंटर में दिव्यांग बच्चों ने केक काट कर सेलीब्रेट किया। प्रत्येक वर्ष 6 अक्टूबर को पूरे विश्व में सेरेब्रल पाल्सी के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने हेतु विश्व सेरेब्रल पाल्सी दिवस को मानते हैं।

फिजियोथेरेपिस्ट डॉ मनोज सिंह ने कहा कि आधुनिकता की होड़ और असंयमित जीवन शैली के बीच बच्चों में होने वाली दिव्यांगता में सेरेब्रल पाल्सी की अधिकता देखी जा रही है।  बच्चे बोलने, समझने, बैठने,चलने में असमर्थ हो जाते हैं। सेरेब्रल पालसी के बच्चों में शारीरिक परेशानी के साथ-साथ दौरा का पड़ना, आखों की परेशानी, सुनने की परेशानी, बोलने में परेशानी, विकास का समुचित न होना, व्यवहार कुशलता में कमी, खाने व खिलाने की समस्या, शारीरिक प्रतिरोधक क्षमता का कम होना जैसी बहुत सारी परेशानियाँ हो सकती है परिजनों को तब समझ में आता है जब उनकी हरकत असामान्य हो जाती है। समय से शुरू कर नियमित फिजियोथेरेपी किया जाए तो सेरेब्रल पाल्सी के बच्चों में सुधार संभव है। उक्त बातें डॉ मनोज ने कहा कि फिजियोथेरेपी ऐसे दिव्यांग बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है।

सेरेब्रल पालसी के इलाज में उम्र के शुरूआत दौर में फिजियोथेरेपी की विशेष तकनीक न्यूरोडेवलपमेन्टल थेरेपी, सेन्सरी इन्टीग्रेशन, और मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए कसरत कराने की जरूरत होती है। बस जरूरत है पूरी लगन के साथ बच्चों को यहां लाने की ताकि फिजियोथेरेपी चिकित्सा प्रदान की जा सके।

स्पेशल एजुकेटर अखलाक अहमद ने कहा कि गर्भावस्था के दौरान, जन्म के समय या जन्म के बाद मस्तिष्क पर दुष्प्रभाव या आघात के कारण बच्चे सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित हो जाते हैं। इसे सी पी के नाम से जाना जाता है । परिजन अपने दिव्यांग बच्चों को नजदीक के  विद्यालय में नामांकन कराएं ताकि बच्चों तक पहुंच बनाया जा सके। राजग्राउंड स्थित रिसोर्स सेंटर में झरिया प्रखंड के 3 से 18 वर्ष के दिव्यांग बच्चों का पुनर्वास का कार्य निःशुल्क होता है । यदि उनके जानकारी में कोई दिव्यांग बच्चा हो तो इसकी सूचना रिसोर्स सेंटर को जरूर दें।

अखलाक अहमद ने कहा कि सी पी के बच्चों को स्पेशल एजुकेशन के तहत बिहैबियर मोडिफिकेशन किया जाता है। दैनिक दिनचर्या के गुर सिखाए जाते हैं। मौके पर  फिजियोथेरेपिस्ट डॉ मनोज सिंह, स्पेशल एजुकेटर अखलाक अहमद, झुनकी देवी, सीमा देवी, बिपिन वर्मा, राजू राम, तन्नू कुमारी, पम्मी कुमारी, अंकुश कुमार वर्मा, श्रृष्टि कुमारी, निशा कुमारी, अयान, तन्नू कुमारी, संजीत कुमार, प्रमोद कुमार आदि उपस्थित थे।