1855-56 में संथाल आदिवासियों के नेतृत्व में हुआ यह विद्रोह भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और सामंती उत्पीड़न के खिलाफ सबसे शुरुआती प्रतिरोध आंदोलनों में से एक था। यह विद्रोह संथाल समुदाय की अदम्य भावना और न्याय और सम्मान के लिए उनकी लड़ाई का प्रमाण है।