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झारखंड में सिखों के साथ सभी दलों ने किया सौतेला व्यवहार, समाज को गोलबंद होने की जरूरत: इंद्रजीत सिंह कालरा

झारखंड में सिखों के साथ सभी दलों ने किया सौतेला व्यवहार, समाज को गोलबंद होने की जरूरत: इंद्रजीत सिंह कालरा

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भाजपा, कांग्रेस और क्षेत्रीय पार्टियों को दिया नसीहत, सिखो को भी बनाएं अपना प्रत्याशी 5 साल पहले 2019 में बीर खालसा दल के सलाहकार और AISMJWA के राष्ट्रीय महासचिव प्रीतम सिंह भाटिया उठा चुके हैं मामले को

जमशेदपुर: झारखंड में सिखों की आबादी को लेकर टिकट बंटवारे पर अनदेखी को अब भाजपा और कांग्रेस समेत क्षेत्रीय दलों में भी चर्चा का विषय बना दिया गया है. 5 साल पहले 2019 में इस मुद्दे को बीर खालसा दल के सलाहकार और AISMJWA के राष्ट्रीय महासचिव प्रीतम सिंह भाटिया ने उठाया था. उन्होने इंदर सिंह नामधारी के बाद विधानसभा को सिख चेहरा विहीन रखने को एक बड़ी साज़िश बताया था. इस विषय के विरोधस्वरूप वे खुद सिख बहुल रामगढ़ विधानसभा से चुनाव लड़ने पहुंचे थे जहां उन्होंने आप, जेवीएम, जदयू, कांग्रेस और भाजपा तक अपना बायोडाटा भिजवाया था.हालांकि 2019 के विस चुनाव में वे जमशेदपुर से रामगढ़ तो पहुंचे और माहौल भी बनाया लेकिन चुनाव में बाहरी-भीतरी की चर्चा होने पर वे अपने अल्पसंख्यक साथी और पत्रकार आरिफ कुरैशी को जेवीएम से नामांकन करवा कर लौट आए.इसके बाद 2019 से ही वे लगातार सिखों की संस्थाओं और सिख समाज के बड़े-बड़े नेताओं से इस बात को लेकर मुखर रहे हैं कि आखिर विधानसभा में नामधारी जी के बाद कोई सिख चेहरा क्यों नहीं आया? इसको लेकर सिखों की विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में आबादी को आंकड़े सहित आधार बनाकर उन्होंने अपने लेख में आग राजनीतिक दलों की सिख विरोधी मानसिकता पर भी उगलने का काम किया ताकि उस लेख को पढ़ कर सिख समाज जागरूक हों. ‌‌श्री भाटिया ने जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिमी सीट समेत रामगढ़ और अन्य सीटों पर भाजपा की हार का एक कारण सिखों की उदासीनता को भी बताया है. वर्तमान में अब इसी मुद्दे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और जमशेदपुर में राजद के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ चुके इंद्रजीत सिंह कालरा भी मुखर हो गये हैं.उन्होने अपने एक बयान में भाजपा,कांग्रेस समेत सभी क्षेत्रीय दलों से सिख प्रत्याशी देने की मांग की है.इस संदर्भ में दिल्ली में लॉबिंग कर रहे श्री कालरा से जब हमने बात की तो उन्होंने बताया कि झारखंड में सिखों के साथ सभी दलों ने सौतेला व्यवहार किया है.यही कारण है कि राज्य बनने के बाद न लोकसभा,न राज्यसभा और न विधानसभा में सिख चेहरा नजर आया.वे बोले अब सिखों को झारखंड में गोलबंद हो जाना चाहिए ताकि राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा टिकट न भी मिले तो सिख अपने विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ सकें.जब उनसे पूछा गया कि क्या वे भी विधानसभा का चुनाव लडेंगे तो उन्होंने कहा कि जमशेदपुर पूर्वी और पश्चिमी में सिखों की अच्छी खासी आबादी है जो अगर अपना क्षेत्रीय प्रत्याशी निर्दलीय भी खड़ा कर दें तो जीत सुनिश्चित हो जाएगी. श्री कालरा ने कहा कि मैं जमशेदपुर से किसी सिख को विधानसभा में देखना चाहता हूं इसलिए मैं खुद नहीं लड़कर स्थानीय प्रतिष्ठित चेहरे को प्रत्याशी बनाने की मांग सभी दलों से कर रहा हूं.वे बोले बहुत जल्द मैं जमशेदपुर में सिख समाज के सभी साथियों के साथ बैठक कर बड़ा निर्णय लूंगा जो समाज हित में ऐतिहासिक होगा.