DHANBAD | मरीजों को सस्ती दर पर मिलने वाली रेडक्रॉस की एंबुलेंस बंद है। पिछले तीन महीने से इसकी सभी पांच गाड़ियां खड़ी हैं। चलाई ही नहीं जा रहीं। नतीजा मरीज इसके लाभ नहीं मिल पा रहा।
मरीज को लाने-ले जाने के लिए लोगों को महंगी प्राइवेट एंबुलेंस का इंतजाम करना पड़ रहा है। गरीब मरीजों के लिए यह काफी मुश्किल भरा हो रहा है। वहीं जिम्मेवार अधिकारियों का कहना है कि फंड की कमी के कारण एंबुलेंस नहीं चल पा रही है।
बता दें कि रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा सात एंबुलेंस का संचालन किया जाता है। मरीजों को यह सस्ती दर पर मिलती थी। 10 किलोमीटर तक इसके इस्तेमाल पर मात्र 500 रुपए लिया जाता था। 10 किलोमीटर से अधिक दूरी के लिए 500 रुपए के साथ प्रति किलोमीटर 9 रुपए लिया जाता था। एसएनएमएमसीएच में तीन एंबुलेंस रहती थी, जिसका लाभ यहां के मरीजों को मिलता था। बाकी दो एंबुलेंस का संचालन ऑन कॉल होता था। ये पांचों एंबुलेंस बंद है।
आपसी खींचतान में बदहाल हुई व्यवस्था
एंबुलेंस की इस व्यवस्था के बदहाल होने का कारण आपसी खींचतान बताया जा रहा है। रेडक्रॉस के कर्मचारियों की मानें तो पूर्व सचिव कौशलेंद्र कुमार सिंह के हटाए जाने के बाद कार्यपालक दंडाधिकारी बंधु कच्छप को रेडक्रॉस की जिम्मेवारी सौंपी गई। वे इसमें समय नहीं दे पाए। नतीजा एंबुलेंस का संचालन प्रभावित होने लगा और अब बंद हो गया। हालांकि कच्छप के अनुसार रेडक्रॉस में फंड नहीं है।
मरीज के साथ चालक भी परेशान
इन एंबुलेंस का चलाने वाले चालक निर्मल गोराईं, विजय कुमार भगत, उदय कुमार वर्मा, कृष्ण कुमार वर्मा और विनोद कुमार भी इसके बंद होने से बदहाली की मार झेल रहे थे। इन सभी को बतौर मानदेय हर महीने प्रतिमाह 10 हजार 547 रुपए मिला था। 23 महीने से इन्हें वेतन नहीं मिला। एंबुलेंस से होने वाला आय से इनका गुजारा हो रहा था। इसके बंद होने से यह पैसा भी मिलना बंद हो गया। नतीजा इनके लिए घर चलाना मुश्किल हो रहा है।
रेडक्रॉस सोसायटी में फंड की कमी है। इसके कारण एंबुलेंस का मेंटेनेंस नहीं हो पा रहा है और चालकों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। इसलिए एंबुलेंस बद करना पड़ा है। -बंधु कच्छप, सचिव रेडक्रॉस सह कार्यपालक दंडाधिकारी