घुसपैठ मामला: झारखंड हाईकोर्ट में चल रही याचिका पर दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित

घुसपैठ मामला: घुसपैठ के मामले को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में चल रही याचिका पर दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो चुकी है। अदालत ने फैसले को सुरक्षित रख लिया है। फैसला सुनाने की तारीख अभी तय नहीं हुई है। आज सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन के साथ वर्चुअल मोड में सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल शामिल हुए। सुनवाई के दौरान उन्होंने अदालत से कहा कि केंद्र सरकार की ओर से इससे संबंधित कोई आंकड़ा शपथ पत्र के माध्यम से नहीं दिया गया है। अदालत में उनकी ओर से यह भी जानकारी दी गई कि इस तरह का एक मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है। सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा कपिल सिब्बल ने कहा कि इस याचिका का इस्तेमाल पॉलिटिकल एजेंडा के रूप में हो रहा है। राज्य में आने वाले कुछ महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इस विषय को मुद्दा बनाया जा रहा है। इस पर केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि केंद्र अदालत में घुसपैठ से संबंधित आंकड़े प्रस्तुत कर चुका है। केंद्र की ओर से बताया गया है कि संथाल परगना के जिलों में किस तरह से आदिवासियों की संख्या में कमी आई है। उन्होंने बताया कि अंतिम जनसंख्या के आधार पर तैयार आंकड़े कोर्ट में दिए गए हैं। झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। अदालत में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि राज्य में घुसपैठियों की पहचान के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने की जरूरत महसूस की जा रही है। इसे लेकर आगामी 30 सितंबर को केंद्रीय गृह सचिव और राज्य के मुख्य सचिव के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक दिल्ली में होने वाली है। बैठक में घुसपैठ के मसले पर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सदस्यों के संबंध में विचार होगा। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का उद्देश्य झारखंड के सीमावर्ती जिलों यथा देवघर, गोड्डा, साहेबगंज, पाकुड़, दुमका और जामताड़ा में अवैध घुसपैठियों की पहचान करना तथा ऐसे अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की व्यवस्था करना होगा। 12 सितंबर को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान केंद्र ने शपथ पत्र दायर कर आंकड़े में बताया कि संथाल परगना के जिलों में आदिवासियों की संख्या कैसे घट रही है। हाईकोर्ट को बताया गया है कि झारखंड के संथाल परगना में आदिवासी आबादी में 16 फीसदी की कमी आई है। केंद्र ने बताया कि संथाल परगना में ट्राइबल आबादी 44 फीसदी से घटकर 28 फीसदी हो गई है। केंद्र ने इसके पीछे की दो वजह बताई है। पहला कारण पलायन और दूसरा धर्मांतरण बताया गया है। कोर्ट को दिए अपने जवाब में केंद्र ने यह भी बताया है कि संथाल परगना के छह अलग-अलग जिलों में मुस्लिम आबादी 20 से 40 फीसदी तक बढ़ी है। सबसे अधिक आबादी पाकुड़ और साहेबगंज में बढ़ी है। वहीं केंद्र ने यह भी कहा कि इन इलाकों में ईसाईयों की संख्या 6000 गुना तक बढ़ी है।