Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the rank-math domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/u290043134/domains/vartasambhav.com/public_html/wp-includes/functions.php on line 6114
शताब्दी समारोह | पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, बोलीं-झारखंड मेरे लिए तीर्थ जैसा

शताब्दी समारोह | पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, बोलीं-झारखंड मेरे लिए तीर्थ जैसा

Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now
WhatsApp Channel Join WhatsApp

शताब्दी समारोह | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शुक्रवार को इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (आईसीएआर)-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंड्री एग्रीकल्चर (एनआईएसए) नामकुम के शताब्दी समारोह में पहुंचीं। उन्होंने कहा-झारखंड मेरे लिए तीर्थ के समान है। भगवान बिरसा मुंडा की धरती पर आना सौभाग्य है। उन्होंने कहा-फार्मास्यूटिकल्स और कॉस्मेटिक उद्योगों में उच्च क्वालिटी के लाह की मांग बढ़ रही है। इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। अगर भारतीय लाह की गुणवत्ता, आपूर्ति और मार्केटिंग में सुधार हो तो हमारे किसान विदेश में भी इसका निर्यात कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि भारत में लाह का उत्पादन मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय करता है। यह उनकी आय का महत्वपूर्ण स्रोत है। लाह से कई उपयोगी और मूल्यवान चीजें बन सकती हैं। इससे पर्यावरण की रक्षा होगी और किसानों की आय बढ़ेगी। एनआईएसए ने लाह की खेती में अच्छा काम किया है। लेकिन अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें हम और आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में कृषि के समक्ष तीन बड़ी चुनौतियां हैं। खाद्य एवं पोषण सुरक्षा, संसाधनों का लगातार उपयोग और जलवायु परिवर्तन। एनआईएसए इन चुनौतियों से निपटने में सहायक हो सकती है। इससे आदिवासियों का जीवन स्तर बेहतर बनेगा। उन्होंने कहा कि कृषि कार्य के दौरान जो अपशिष्ट बच जाते हैं, उसे प्रोसेस कर उपयोगी चीजें बनाई जा सकती है। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ किसानों की आय भी बढ़ेगी। एनआईएसए आदिवासियों का जीवन स्तर बेहतर बनाने में मदद करेगा राष्ट्रपति ने कहा कि एनआईएसए का कदम आदिवासियों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करेगा। एनआईएसए ने लाह, प्राकृतिक रेजिन और गोंद के अनुसंधान व विकास के लिए कई कदम उठाए हैं। लाह की एक प्रसंस्करण इकाई और एकीकृत लाह प्रसंस्करण इकाई का विकास हो रहा है। लाह आधारित प्राकृतिक पेंट, वार्निश और कॉस्मेटिक उत्पाद बन रहे हैं। फल-​सब्जी और मसालों की सेल्फ लाइन बढ़ाने के लिए लाह आधारित कोटिंग भी बन रहा है। एनआईएसए में ऑटोमेशन और प्लांट इंजीनियरिंग डिवीजन की स्थापना की गई है। जो रोबोटिक्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सक्षम उपकरणों के विकास पर ध्यान केंद्रित करता है। समारोह को राज्यपाल संतोष गंगवार, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने भी संबोधित किया। राजभवन में स्वतंत्रता सेनानियों की ‘मूर्ति गार्डन’ का भी उद्घाटन राष्ट्रपति ने राजभवन परिसर में झारखंड के स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं से सुसज्जित मूर्ति गार्डन का भी उद्घाटन किया। यहां नीलांबर-पीतांबर, तेलंगा खड़िया, गया मुंडा, वीर बुधू भगत, सिदो-कान्हू, टाना किशन, दिवा किशुन और अल्बर्ट एक्का औरं स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। लाह उत्पादन में राज्य की 70% हिस्सेदारी थी तो 55% कैसे हुई समारोह में सीएम हेमंत सोरेन ने सवाल उठाया कि लाह उत्पादन में देशभर में झारखंड की हिस्सेदारी 70 फीसदी थी तो यह घटकर 55 फीसदी कैसे हो गई। किसानों के लिए बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, फिर भी उत्पादन घट गया। भाजपा कहती है कि वह लखपति दीदी बनाएगी। हमारी दीदियां करोड़पति क्यों नहीं बन सकती। किसानों के खेत से लेकर बाजार तक बिचौलिए हावी है। देश में बिचौलियों की शक्तिशाली जमात है, जो किसानों की मेहनत की कमाई अपनी जेब में डाल लेती है। जलवायु परिवर्तन और सुखाड़ के चलते किसान अब खेतिहर मजदूर बन गए हैं। इन्हें बचाना है। केंद्र और राज्य सरकार इसके लिए लगातार काम करे। झारखंड में लाह को ​कृषि उत्पाद का दर्जा दे दिया है।