Dhanbad News || हाउसिंग कॉलोनी में चल रहे सप्ताहव्यापी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ के सातवें दिन श्रद्धालुओं को जीवन के आदर्श और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग का संदेश दिया गया। अयोध्या से पधारे महंत राजीव लोचन शरण महाराज ने कथा में सोलह हजार एक सौ आठ विवाह की घटना और सुदामा चरित्र का उदाहरण देकर भक्ति और संतोष का महत्व समझाया।
भगवान का संदेश: सभी को साथ लेकर चलें
महंत महाराज ने बताया कि भगवान ने सोलह हजार एक सौ आठ राजकुमारियों से विवाह कर यह संदेश दिया कि समाज के उपेक्षित लोगों को भी अपना बनाना चाहिए। जब उन राजकुमारियों पर समाज ने कलंक लगाया और वे आत्महत्या की कगार पर थीं, तब भगवान ने उन्हें अपनाकर जीवनसाथी का दर्जा दिया। यह घटना समाज में समानता और सहृदयता का संदेश देती है।
सुदामा चरित्र से मिला संतोष का पाठ
महंत महाराज ने सुदामा चरित्र का उल्लेख करते हुए कहा कि सुदामा भले ही गरीब थे, लेकिन संतोषी जीवन जीते थे। उन्होंने बताया कि भिक्षा में जो भी दान मिले, उससे संतुष्ट रहना ब्राह्मण का धर्म है, क्योंकि देने वाला हमेशा बड़ा होता है। इस चरित्र से हमें संतोष और कृतज्ञता का पाठ सीखना चाहिए।
कलियुग में मोक्ष का श्रेष्ठ मार्ग: श्रीमद्भागवत कथा
कथा व्यास ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा कलियुग में मोक्ष प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग है। परीक्षित महाराज को श्राप मिलने के बाद भी इस कथा को सुनकर उन्होंने मुक्ति पाई। उन्होंने कहा, “व्यक्ति के जीवन में सात दिनों के बाद आठवां दिन नहीं होता, इसलिए श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से ही मोक्ष संभव है।”
मनमोहक झांकियां और अद्भुत प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में श्रीकृष्ण, रुक्मिणी, और बारातियों की मनमोहक झांकियां प्रस्तुत की गईं। श्रुति ने श्रीकृष्ण, प्राची ने रुक्मिणी और खुशबू ने बाराती की भूमिका निभाई। उनकी शानदार प्रस्तुतियों ने उपस्थित भक्तों का मन मोह लिया।
आगामी कार्यक्रम और मुख्य अतिथि
कथा के समापन के बाद इसे विश्राम दिया गया। अगले दिन कथा स्थल पर हवन और पूर्णाहुति का आयोजन होगा। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सावित्री देवी (सांसद ढुलू महतो की धर्मपत्नी), भाजपा नेता अमरेश सिंह, मुख्य यजमान आर.के. सिंह, मनीष, ललित शाही, डॉ. धीरज, अनिल राय, पवन, अविनाश, चंपा, नूतन सहाय, नीना गुप्ता, डॉ. नित्यानंद सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
यह कथा जीवन जीने की प्रेरणा और भक्ति की महत्ता का सार प्रस्तुत करती है।