BEWARE OF THE DOG | तापमान और बढ़ते प्रदूषण के कारण खतरनाक हो रहे हैं कुत्ते, बढ़ रही हैं DOG BITES की घटनाएं

REPORT| दुनिया भर में कुत्तों के काटने के हर साल लाखों मामले सामने आते हैं। आपने भी अक्सर सुना होगा कि आपके आसपास किसी को कुत्ते ने काट लिया। देखा जाए तो न केवल भारत में बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इस तरह की घटनाओं का होना आम बनता जा रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों हो रहा है? कुत्ते जिन्हें इंसानों के लिए सबसे भरोसेमंद और वफादार समझा जाता था वो उनकों ही क्यों निशाना बना रहे हैं। इस बारे में किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि बढ़ते तापमान और प्रदूषण के साथ कुत्तों में गुस्सा बढ़ता जाएगा और उनके हमले की घटनाएं भी बढ़ सकती हैं। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं का दावा है कि बढ़ते तापमान, गर्मी, अल्ट्रावायोलेट और ओजोन प्रदूषण के साथ डॉग बाइट की यह घटनाएं कहीं ज्यादा बढ़ सकती हैं। शोधकर्ता तनुजीत डे के नेतृत्व में किए इस अध्ययन के नतीजे JOURNAL SCIENTIFIC REPORTS में प्रकाशित हुए हैं। अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने डॉग बाईट की 69,525 घटनाओं का अध्ययन किया है। यह सभी घटनाएं 2009 से 2018 के बीच अमेरिका के आठ शहरों में दर्ज की गई थी। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने उनके मिजाज पर बढ़ते तापमान और प्रदूषण के प्रभावों का भी आंकलन किया है। इस रिसर्च में जो नतीजे सामने आए हैं, वो परेशान कर देने वाले हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक ओजोन, यूवी विकिरण और तापमान में वृद्धि के साथ डॉग बाइट की घटनाएं बढ़ जाएंगी। रिसर्च में पीएम 2.5 और इन घटनाओं के बीच कोई सम्बन्ध नहीं देखा गया। इसी तरह बरसात के दिनों और छुट्टियों में कुत्तों के हमले की घटनाओं में कमी देखी गई थी। शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि गर्म और धूल-धुंए से भरे दिन में कुत्ते इंसानों पर ज्यादा हमला करेंगें। खासकर जब प्रदूषण ज्यादा हो तो उनके हमले की सम्भावना भी बढ़ जाती है। इसी तरह बढ़ता तापमान भी कुत्तों को कहीं ज्यादा आक्रामक बना रहा है। रिसर्च के मुताबिक वातावरण में जब यूवी विकिरण ज्यादा था तो कुत्तों के काटने की घटनाओं में 11 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। अत्यधिक गर्म दिनों में यह घटनाएं चार फीसदी और ओजोन के बढ़ते स्तर के चलते इन घटनाओं में तीन फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी।

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सिर्फ कुत्ते ही नहीं इंसानों और अन्य जीवों के व्यवहार में भी आ रहा है बदलाव

RESEARCH के मुताबिक आने वाले समय में कुत्तों का गुस्सा कम नहीं होगा, बल्कि समय के साथ वो और हिंसक होते जाएंगे। देखा जाए तो कुत्तों के व्यवहार में आता यह बदलाव इंसानों के समान ही है। पहले किए अध्ययनों में भी यह साबित हो चुका है कि तापमान और वायु प्रदूषण का स्तर अधिक होने पर मनुष्य अधिक हिंसक अपराध करते हैं। इतना ही नहीं बढ़ते तापमान के साथ यह प्रवत्ति बंदर, चूहों जैसे जीवों में भी देखी गई है। JOURNAL ENVIRONMENTAL RESEARCH LETTER में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक बढ़ता तापमान हिंसक घटनाओं में वृद्धि की वजह बन सकता है। कई अन्य अध्ययनों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि बढ़ते तापमान की वजह से अपराध ज्यादा होते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक लोग जिस जलवायु में रहते हैं वो उनके गुस्से को उकसाता या कम करता है। जहां गर्म इलाकों में अपराध ज्यादा होते हैं वहीं ठन्डे प्रदेशों में अपराध की दर कम होती है। RESEARCH में यह भी माना है कि केवल बढ़ता तापमान और प्रदूषण ही कुत्तों के आक्रामक होने की वजह नहीं है। इसके लिए अन्य कारक भी जिम्मेवार हैं। इस अध्ययन में कई अन्य चीजों जैसे की कुत्तों की नस्ल, लिंग, के साथ-साथ पीड़ितों के बारे में विवरण, कुत्तों के साथ उनकी नजदीकी आदि का विवरण नहीं दिया गया है। हालांकि एक बात तो स्पष्ट है कि बढ़ता तापमान और प्रदूषण जैसे पर्यावरण से जुड़े कारक जीवों के व्यवहार में बदलाव कर रहे हैं और इनके लिए कहीं न कहीं हम इंसान जिम्मेवार हैं। कुत्तों के हमलों में पीड़ित और कुत्ते दोनों को गंभीर चोटें आ सकती हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए, उन सभी कारकों को समझना जरूरी है जो जानवरों की आक्रामकता में योगदान करते हैं। कुत्ते के काटने का एक प्रमुख कारण डर है। जब किसी कुत्ते को खतरा लगता है या वो अपने आप को घिरा या डरा हुआ महसूस करता है, तो वह आत्मरक्षा में काटने का सहारा ले सकता है। ऐसे में इन सभी कारणों पर भी ध्यान देना जरूरी है।

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