Dada Saheb Falke Award | इस साल का दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड मिथुन चक्रवर्ती को दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार 30 सितंबर को यह घोषणा की। मिथुन दा को 8 अक्टूबर को 70वीं नेशनल फिल्म अवॉर्ड सेरेमनी में सम्मानित किया जाएगा। इस घोषणा के बाद से दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड सुर्खियों में है। आइए विस्तृत रूप से इस अवार्ड के बारे में जानते हैं
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित पुरस्कार है। यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के जनक माने जाने वाले धुंडिराज गोविंद फाल्के, जिन्हें आमतौर पर दादासाहेब फाल्के कहा जाता है, के नाम पर स्थापित किया गया है। 1969 में पहली बार यह पुरस्कार शुरू हुआ, और तब से यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है।
दादासाहेब फाल्के: भारतीय सिनेमा के जनक
दादासाहेब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल 1870 को महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर में हुआ था। वे एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे, जिन्होंने भारतीय सिनेमा की नींव रखी। 1913 में उन्होंने भारत की पहली फीचर फिल्म “राजा हरिश्चंद्र” का निर्माण किया, जिसने भारतीय सिनेमा को एक नई दिशा दी। यह फिल्म भारतीय समाज, संस्कृति और कला का अनूठा मिश्रण थी और इसे भारतीय सिनेमा का प्रारंभिक मील का पत्थर माना जाता है।
दादासाहेब फाल्के का योगदान केवल फिल्मों तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को उस समय की तकनीकी चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित किया और फिल्म निर्माण की प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। उनकी दृष्टि और संकल्प ने भारतीय सिनेमा को एक सशक्त माध्यम के रूप में स्थापित किया, जो आने वाले दशकों में एक प्रमुख उद्योग के रूप में उभरा।
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की स्थापना
1969 में, जब भारतीय सिनेमा अपने अस्तित्व के 50 वर्ष पूरे कर रहा था, तब भारत सरकार ने दादासाहेब फाल्के के नाम पर एक पुरस्कार की घोषणा की। इसका उद्देश्य सिनेमा के क्षेत्र में आजीवन योगदान देने वाले कलाकारों, निर्देशकों, संगीतकारों, लेखकों और अन्य फिल्मकारों को सम्मानित करना था।
पहला दादासाहेब फाल्के पुरस्कार 1969 में प्रसिद्ध अभिनेता देविका रानी को प्रदान किया गया, जो भारतीय सिनेमा की प्रथम महिला सुपरस्टार मानी जाती हैं। इसके बाद से यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के प्रमुख चेहरों को दिया जाता रहा है, जिन्होंने सिनेमा को नए आयाम दिए और समाज को प्रेरित किया।
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार का महत्त्व
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार न केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि का प्रतीक है, बल्कि यह पुरस्कार भारतीय सिनेमा के विकास और उसकी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। इस पुरस्कार के माध्यम से फिल्म इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों को उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित किया जाता है।
यह पुरस्कार केवल कलाकारों को ही नहीं बल्कि उन सभी लोगों को भी सम्मानित करता है जिन्होंने पर्दे के पीछे रहकर सिनेमा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जैसे कि निर्देशक, संगीतकार, लेखक, सिनेमैटोग्राफर, प्रोड्यूसर, और एडिटर।
पुरस्कार प्रक्रिया और चयन
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करने वाले व्यक्ति का चयन एक जूरी द्वारा किया जाता है, जिसमें फिल्म इंडस्ट्री के अनुभवी और प्रतिष्ठित व्यक्तित्व शामिल होते हैं। यह जूरी उन व्यक्तियों को ध्यान में रखती है जिन्होंने भारतीय सिनेमा में लंबे समय तक योगदान दिया हो और जिनका काम न केवल तकनीकी दृष्टि से श्रेष्ठ हो, बल्कि समाज पर भी सकारात्मक प्रभाव डाला हो।
पुरस्कार के रूप में व्यक्ति को स्वर्ण कमल, शॉल और नकद राशि दी जाती है। यह पुरस्कार भारत के राष्ट्रपति के द्वारा एक विशेष समारोह में दिया जाता है, जो कि प्रतिवर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के वितरण के दौरान होता है।
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रमुख व्यक्ति
इस पुरस्कार के तहत अब तक भारतीय सिनेमा के कई प्रतिष्ठित नामों को सम्मानित किया जा चुका है। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख हस्तियों के बारे में जिन्होंने यह पुरस्कार जीता है:
1. राज कपूर (1987): राज कपूर भारतीय सिनेमा के शोमैन माने जाते हैं। उनकी फिल्मों ने भारतीय समाज को एक नई दृष्टि दी और उन्होंने अपने जीवनकाल में कई यादगार फिल्में दीं, जैसे “आवारा”, “श्री 420”, “मेरा नाम जोकर” आदि।
2. सत्यजीत रे (1985): सत्यजीत रे भारतीय सिनेमा के महान निर्देशकों में से एक हैं। उन्होंने “पाथेर पांचाली”, “अपराजितो” और “अपुर संसार” जैसी कालजयी फिल्मों का निर्देशन किया, जो विश्व सिनेमा में भी अपनी पहचान बना चुकी हैं।
3. लता मंगेशकर (1989): भारतीय सिनेमा की स्वर कोकिला लता मंगेशकर को भी इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी आवाज़ ने भारतीय सिनेमा के हर दौर में लोगों के दिलों को छुआ है।
4. अमिताभ बच्चन (2018): भारतीय सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन को भी उनके अद्वितीय योगदान के लिए यह पुरस्कार मिला। उनकी फिल्में और अभिनय दशकों से लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं।
5. रजनीकांत (2021): दक्षिण भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार रजनीकांत को 2021 में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उनकी फिल्मों और उनके व्यक्तित्व ने भारतीय सिनेमा को एक नया आयाम दिया है।
यहां दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के प्रमुख विजेताओं की सूची दी जा रही है, जो भारतीय सिनेमा में उनके अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित किए गए हैं:
1. देविका रानी (1969) – भारतीय सिनेमा की पहली सुपरस्टार अभिनेत्री।
2. बिरेंद्रनाथ सरकार (1970) – फिल्म निर्माण में प्रमुख योगदान देने वाले निर्माता।
3. प्रिथ्वीराज कपूर (1971) – भारतीय रंगमंच और सिनेमा के प्रमुख अभिनेता।
4. रुबी मायेर (सुलोचना) (1973) – भारतीय मूक फिल्मों की प्रमुख अभिनेत्री।
5. वी शांताराम (1985) – महान निर्देशक, निर्माता और अभिनेता।
6. सत्यजीत रे (1985) – विश्व प्रसिद्ध भारतीय फिल्म निर्देशक।
7. राज कपूर (1987) – भारतीय सिनेमा के ‘शोमैन’।
8. लता मंगेशकर (1989) – भारतीय सिनेमा की स्वर कोकिला।
9. अशोक कुमार (1988) – प्रसिद्ध अभिनेता और फिल्म निर्माता।
10. मृणाल सेन (2003) – प्रख्यात फिल्म निर्माता और निर्देशक।
11. अदूर गोपालकृष्णन (2004) – मलयालम सिनेमा के महान निर्देशक।
12. शशि कपूर (2014) – अभिनेता और निर्माता।
13. मनोज कुमार (2015) – देशभक्ति फिल्मों के लिए प्रसिद्ध अभिनेता-निर्देशक।
14. कवि गुलज़ार (2013) – लेखक, गीतकार और फिल्म निर्देशक।
15. विनोद खन्ना (2017) – अभिनेता और राजनीतिज्ञ।
16. अमिताभ बच्चन (2018) – भारतीय सिनेमा के महानायक।
17. रजनीकांत (2021) – दक्षिण भारतीय सिनेमा के सुपरस्टार।
18. आशा पारेख (2022) – प्रसिद्ध अभिनेत्री और निर्माता।
19. रेखा (2023)- प्रसिद्ध अभिनेत्री
यह सूची दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के कुछ प्रमुख विजेताओं की है। ये सभी व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्र में भारतीय सिनेमा के स्तंभ रहे हैं।
पुरस्कार का समाज पर प्रभाव
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार का समाज पर गहरा प्रभाव है। यह न केवल फिल्म उद्योग में काम करने वाले लोगों को प्रेरित करता है, बल्कि यह समाज को भी यह संदेश देता है कि सिनेमा एक महत्वपूर्ण माध्यम है जो समाज में बदलाव ला सकता है। यह पुरस्कार यह भी साबित करता है कि सिनेमा केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज की वास्तविकताओं, समस्याओं और चुनौतियों को दर्शाने का एक सशक्त माध्यम भी है।
समकालीन सिनेमा और दादासाहेब फाल्के पुरस्कार
भारतीय सिनेमा ने पिछले कुछ दशकों में बहुत प्रगति की है। तकनीकी दृष्टि से भारतीय सिनेमा अब वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर रहा है। हालांकि, इस विकास के साथ-साथ सिनेमा के मूल्यों में भी बदलाव आया है। दादासाहेब फाल्के पुरस्कार इस बात का प्रतीक है कि भारतीय सिनेमा अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर रखता है और इसके साथ-साथ नए प्रयोगों को भी प्रोत्साहित करता है।
आधुनिक दौर में सिनेमा एक वैश्विक माध्यम बन चुका है, जहां भारतीय फिल्में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराही जा रही हैं। दादासाहेब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा की इस अंतर्राष्ट्रीय पहचान को भी सम्मानित करता है और यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय फिल्मकारों की कला और मेहनत को विश्वभर में मान्यता मिले।
दादासाहेब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा के प्रति सम्मान और उसकी उत्कृष्टता का प्रतीक है। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने अपने अद्वितीय योगदान से सिनेमा को समृद्ध किया और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास किया।
दादासाहेब फाल्के ने जो नींव रखी, उस पर भारतीय सिनेमा ने जो इमारत खड़ी की है, वह केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है। यह समाज, संस्कृति और कला का प्रतिबिंब है, और इस संदर्भ में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार उन सभी को सम्मानित करता है जिन्होंने इस इमारत को अपने श्रम और समर्पण से सुदृढ़ किया है।
भारतीय सिनेमा की इस यात्रा में दादासाहेब फाल्के पुरस्कार हमेशा एक प्रेरणास्त्रोत रहेगा, जो सिनेमा के माध्यम से समाज और देश के विकास में योगदान देने वाले लोगों को सम्मानित करता रहेगा।