Dhanbad Jail Inspection: कारा की व्यवस्थाओं पर न्यायिक टीम की विशेष नजर, जेल प्रशासन को दिए कई अहम निर्देश
Dhanbad Jail Inspection: धनबाद जेल में अवर न्यायाधीश के नेतृत्व में किया गया व्यापक निरीक्षण
Dhanbad Jail Inspection: प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेन्द्र कुमार तिवारी के निर्देश पर बुधवार को अवर न्यायाधीश सह सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) मयंक तुषार टोपनो ने धनबाद मंडल कारा का औचक निरीक्षण किया। उनके साथ LADCS डिप्टी चीफ अजय कुमार भट्ट, सहायक काउंसिल सुमन पाठक, नीरज गोयल व कन्हैया लाल ठाकुर मौजूद थे। निरीक्षण का उद्देश्य बंदियों को उपलब्ध कराई जा रही मूलभूत सुविधाओं और न्यायिक सहायता की समीक्षा करना था।
बैरकों में पहुंचकर की स्वास्थ्य, भोजन व पैरवी की स्थिति की जांच
निरीक्षण के दौरान न्यायाधीश मयंक टोपनो ने प्रत्येक बैरक में जाकर बंदियों से उनके स्वास्थ्य, इलाज, पेयजल, भोजन, और मुकदमे में कानूनी सहायता की स्थिति के बारे में जानकारी ली। उन्होंने शौचालयों की सफाई, भोजन की गुणवत्ता, और रसोई व्यवस्था की भी जांच की। जेल अस्पताल में भर्ती बीमार बंदियों के बेहतर इलाज के लिए उन्हें उच्च स्वास्थ्य केंद्र भेजने का निर्देश भी दिया गया।
महिला बंदी के बच्चों को अविलंब मुहैया कराई गई आवश्यक सामग्री
निरीक्षण के दौरान एक महिला बंदी के साथ मौजूद दो छोटे बच्चों की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया गया। न्यायाधीश ने जेल प्रशासन को बच्चों के लिए तुरंत दूध, डायपर, आवश्यक दवाएं, और अन्य स्वास्थ्य संबंधी सामग्री उपलब्ध कराने का आदेश दिया। आदेश मिलते ही जेल प्रशासन ने सभी आवश्यक सामानों की आपूर्ति सुनिश्चित की।
अन्य सुविधाओं का जायजा और जेल मैनुअल के अनुपालन का निर्देश
निरीक्षण दल ने कारा पुस्तकालय, रसोईघर, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र, और ध्यान-सह-योग केंद्र का भी निरीक्षण किया। बंदियों से बातचीत कर उनकी समस्याएं जानी गईं और उनके कानूनी अधिकारों से अवगत कराया गया। जेल अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे जेल मैनुअल के अंतर्गत मिलने वाली सभी सुविधाएं समय पर और सुचारु रूप से बंदियों को उपलब्ध कराएं।
निष्कर्ष
Dhanbad Jail Inspection के दौरान अवर न्यायाधीश मयंक टोपनो और उनकी टीम ने जेल में बंदियों की स्थिति, मूलभूत सुविधाओं और स्वास्थ्य व्यवस्था की बारीकी से जांच की। महिला बंदी के बच्चों के लिए तुरंत सुविधा उपलब्ध कराना न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है। यह निरीक्षण न केवल न्यायिक व्यवस्था की पारदर्शिता को मजबूत करता है, बल्कि बंदियों के मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।