Dhanbad News: अल्प मानदेय कर्मियों को भी मिले आयुष्मान और आवास योजना का लाभ: डिंपल चौबे की सरकार से मांग

अल्प मानदेय कर्मियों को भी मिले आयुष्मान और आवास योजना का लाभ

अल्प मानदेय कर्मियों को भी मिले आयुष्मान और आवास योजना का लाभ

Dhanbad News: झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा महिला इकाई की अध्यक्ष डिंपल चौबे ने रखी वंचित कर्मियों की पीड़ा

Dhanbad News: अल्प मानदेय में जी रहे कर्मियों की जिंदगी बन चुकी है संघर्षपूर्ण: डिंपल चौबे

Dhanbad News: झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा महिला धनबाद जिला अध्यक्ष डिंपल चौबे ने सरकार से अपील की है कि राज्य में अल्प मानदेय पर काम कर रहे कर्मचारियों की दुर्दशा को गंभीरता से लिया जाए। उन्होंने कहा कि पारा शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविका, पोषण सखी, संविदा और अनुबंधित कर्मचारी जैसे कर्मी वर्षों से न्यूनतम पारिश्रमिक में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जबकि वर्तमान महंगाई में उनका जीवन स्तर नारकीय हो चुका है।

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महंगाई में न्यूनतम मानदेय से असंभव हो रहा जीवन-यापन

डिंपल चौबे ने कहा कि इन कर्मचारियों के लिए घर खर्च, दवाइयों का खर्च और बेटियों की जिम्मेदारी उठाना बेहद कठिन हो गया है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि समान काम के लिए समान वेतन की मांग करना कोई गैरवाजिब मांग नहीं है, बल्कि यह इन कर्मियों का मौलिक अधिकार है।

आयुष्मान और प्रधानमंत्री आवास योजना से जोड़े जाएं अल्प मानदेय कर्मी

सरकार से अपील करते हुए डिंपल चौबे ने कहा कि जब तक सरकार समान वेतन नहीं दे सकती, तब तक इन कर्मियों को आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों में शामिल किया जाए, ताकि उन्हें कम से कम स्वास्थ्य और आवास जैसी बुनियादी सुविधाएं मिल सकें।

बीस वर्षों से राज्य को दे रहे सेवाएं, फिर भी उपेक्षा का शिकार

डिंपल चौबे ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि ये कर्मचारी विगत बीस से बाईस वर्षों से झारखंड राज्य के विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे हैं, इसके बावजूद सरकार द्वारा इन्हें न तो स्थायीत्व प्रदान किया गया और न ही समुचित लाभ।

निष्कर्ष

Low Honorarium Employees Benefits: सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में भागीदारी बन सकती है राहत का जरिया

अल्प मानदेय पर कार्यरत कर्मियों की उपेक्षा अब असहनीय होती जा रही है। सरकार को चाहिए कि वह इन कर्मियों की सेवा को सम्मान दे और उन्हें आयुष्मान भारत और आवास योजना जैसी योजनाओं से जोड़कर उनका जीवन स्तर सुधारने की दिशा में ठोस कदम उठाए। डिंपल चौबे की यह मांग न केवल न्यायसंगत है, बल्कि सामाजिक समानता की ओर एक सार्थक पहल भी है।