Dhanbad News : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ (बीएमएस) के बैनर तले शनिवार को बीसीसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में महिला सशक्तिकरण और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर नारी शक्ति, माताओं और बहनों को पुष्पगुच्छ, मिठाई और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
महिला सशक्तिकरण पर विशेष जोर
कार्यक्रम के दौरान महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए यह संदेश दिया गया कि महिलाएं समाज की आधारशिला हैं और उनके बिना समाज की कल्पना अधूरी है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही हैं, इसलिए हर दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जाना चाहिए।
सम्मान समारोह में प्रमुख व्यक्तित्वों की उपस्थिति
बीसीसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मुरारी तांती, अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के मंत्री के.के. सिंह, महामंत्री उमेश कुमार सिंह सहित कई अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। इस मौके पर क्षेत्रीय प्रभारी, क्षेत्रीय शाखा पदाधिकारी एवं बीएमएस के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
महिला अधिकारों और समानता की दिशा में जागरूकता
अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के मंत्री के.के. सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस कई देशों में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। चीन में राज्य परिषद की सलाह के अनुसार, कई महिलाओं को आधे दिन की छुट्टी दी जाती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं का उत्थान पुरुषों के पतन का विषय नहीं है, बल्कि लैंगिक समानता को बढ़ावा देना पूरे समाज की जिम्मेदारी है। यह केवल महिलाओं से जुड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक विषय भी है।
संघ के अध्यक्ष मुरारी तांती ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा चयनित राजनीतिक और मानव अधिकार विषयवस्तु के साथ महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण के उद्देश्य से मनाया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
संघ के महामंत्री उमेश कुमार सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सबसे पहला महिला दिवस 1909 में न्यूयॉर्क नगर में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया और यह अन्य देशों में भी फैल गया।
प्रसिद्ध जर्मन एक्टिविस्ट क्लारा ज़ेटकिन के प्रयासों से 1910 में इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने इस दिन को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मान्यता दी। इसके फलस्वरूप 19 मार्च 1911 को ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और जर्मनी में पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। बाद में 1921 में इस दिन की तारीख बदलकर 8 मार्च कर दी गई, तब से यह दिन पूरी दुनिया में महिला सशक्तिकरण और समानता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
निष्कर्ष: महिलाओं की सशक्त भूमिका को और मज़बूती देने की पहल
धनबाद कोलियरी कर्मचारी संघ (बीएमएस) का यह आयोजन महिलाओं को सशक्त बनाने, उनके अधिकारों को स्थापित करने और समाज में उनकी भागीदारी को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। संगठन ने यह संकल्प लिया कि आने वाले दिनों में महिला सशक्तिकरण को लेकर और बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, ताकि नारी शक्ति को और अधिक मजबूती मिले और समाज में उनकी भूमिका को उचित सम्मान दिया जा सके।