FCI Sindri Illegal Encroachment Removal: बुलडोजर, मजिस्ट्रेट और पुलिस बल के साथ पहुंचे अधिकारी, विस्थापितों के विरोध ने रोकी कार्यवाही
FCI Sindri Illegal Encroachment Removal: FCI सिंदरी ने रोहड़ाबांध के 987 नंबर प्लॉट से हटाने की कोशिश की अवैध कब्जा
FCI Sindri Illegal Encroachment Removal: एफसीआई सिंदरी (FCI Sindri Illegal Encroachment Removal) के तहत फर्टिलाइजर निगम की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे को हटाने के लिए मंगलवार को प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की योजना बनाई थी। सिंदरी के रोहड़ाबांध मौजा स्थित 987 नंबर प्लॉट से कब्जा मुक्त कराने के उद्देश्य से बुलडोजर, कोर्ट द्वारा नियुक्त मजिस्ट्रेट, तथा भारी पुलिस बल के साथ संपदा अधिकारी देवदास अधिकारी एवं यूनिट इंचार्ज विजय चौधरी मौके पर पहुंचे।
विस्थापितों ने किया जोरदार विरोध, ‘पहले पुनर्वास, फिर विस्थापन’ के लगे नारे
जैसे ही प्रशासन ने कब्जा हटाने की प्रक्रिया शुरू की, वहां रह रहे विस्थापितों ने विरोध शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने ‘वापस जाओ, पहले पुनर्वास करो, फिर विस्थापन होगा’ के नारे लगाए और बुलडोजर के आगे बैठने की तैयारी कर ली। स्थिति को तनावपूर्ण होते देख प्रशासन को तत्काल कार्रवाई रोकनी पड़ी।
विस्थापितों और अधिकारियों के बीच हुई बातचीत, मिला समय सीमा
प्रशासन और स्थानीय नेताओं की मौजूदगी में मौके पर ही बैठक आयोजित की गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि विस्थापित परिवारों को कुछ समय दिया जाएगा, ताकि वे खुद से जगह खाली कर सकें। इसके बाद अधिकारी और मजिस्ट्रेट बिना कार्रवाई किए लौट गए।
रात भर दहशत में रहे लोग, सुबह से तैयार था विरोध प्रदर्शन
विस्थापित परिवारों में सोमवार रात से ही भय और अनिश्चितता का माहौल था। पूरी रात नींद नहीं आई और सुबह से ही लोगों ने बुलडोजर के खिलाफ विरोध की रणनीति बना ली थी। योजना के तहत वे डटे रहे और अंततः प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा।
राजनीतिक दलों के नेताओं ने दिया समर्थन
इस घटनाक्रम में सीपीएम नेता विकास कुमार ठाकुर, झामुमो के परशुराम सिंह, कांग्रेस के विदेशी सिंह, भाजपा के गोवर्धन मंडल, प्रकाश बाउरी, कुमार महतो, माकपा के सूर्य कुमार सिंह, राज नारायण तिवारी, सुबल चंद्र दास, शिबू राय, अनिल शर्मा, राम नाथ शर्मा, सियाराम यादव समेत कई स्थानीय नेता विस्थापितों के समर्थन में उपस्थित थे।
निष्कर्ष
FCI Sindri Illegal Encroachment Removal अभियान फिलहाल स्थगित कर दिया गया है, लेकिन यह मामला विस्थापितों के पुनर्वास और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे जैसे मुद्दों पर गंभीर बहस की मांग करता है। प्रशासन और प्रभावित परिवारों के बीच संतुलित और मानवीय समाधान निकालना ही अब सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए।
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