स्वदेशी निर्माण से नौसेना को मिली नई ताकत | First Shallow Water Craft INS Arnala Commissioned into Indian Navy
INS Arnala Commissioned: हिंद महासागर की निगरानी में बढ़ेगी शक्ति, कोस्टल ऑपरेशन में निभाएगा अहम भूमिका
INS Arnala Commissioned: भारत की समुद्री सुरक्षा को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए देश का पहला शैलो वाटर क्राफ्ट (Shallow Water Craft) आईएनएस अर्णाला (INS Arnala) भारतीय नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल कर लिया गया। यह पोत तटीय निगरानी, खोज एवं बचाव अभियान और दुश्मन की पनडुब्बियों को रोकने जैसे कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है।
INS Arnala, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स द्वारा स्वदेशी तकनीक से निर्मित किया गया है। इसे ‘अर्णाला क्लास’ के पहले पोत के रूप में भारतीय नौसेना में कमीशन किया गया है। इसका नाम महाराष्ट्र के अर्णाला द्वीप से प्रेरित है, जो ऐतिहासिक रूप से नौसैनिक रणनीति के लिए जाना जाता रहा है।
तकनीकी विशेषताएं और भूमिका
आईएनएस अर्णाला की लंबाई करीब 78 मीटर और वजन लगभग 900 टन है। यह आधुनिक रडार सिस्टम, सोनार और हथियार प्रणालियों से लैस है, जो इसे तटीय क्षेत्र में उथले पानी में भी प्रभावी संचालन की क्षमता प्रदान करता है। यह पोत विशेष रूप से सबमरीन डिटेक्शन और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में सक्षम है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और उपलब्धि
INS Arnala का निर्माण ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत किया गया है, जिससे भारत की समुद्री रक्षा में आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम माना जा रहा है।