
JUMRI TILAIYA | संतान की सुरक्षा, स्वास्थ्य, दीर्घायु, समृद्धि की मंगल कामना को पूर्ण करने वाला लोकपर्व निर्जला जिउतिया अर्थात् जीवित्पुत्रिका व्रत पूजन प्रदोष व्यापिनी अष्टमी तिथि में 6 अक्टूबर, शुक्रवार को होगा। उक्त जानकारी मां तारा ज्योति संस्थान झुमरी तिलिया के आचार्य अनिल मिश्रा ने दी। उन्होंने बताया कि इस व्रत को स्त्रियां अपने संतान को कष्टों से बचाने एवं उनकी लंबी आयु की मनोकामना पूर्ति के लिए करती हैं। अनिल मिश्रा ने बताया कि व्रत की कई पौराणिक कथाएं प्रचलित है। एक कथा के अनुसार महाभारत युद्ध के समय अश्वत्थामा नाम का हाथी मारा गया था, लेकिन खबर फैल गई कि अश्वत्थामा मारा गया। यह सुनकर द्रोणाचार्य ने शोक में अस्त्र डाल दिए और धृष्टद्युम्न ने उनका वध कर दिया। क्रोध एवं प्रतिशोध में अश्वत्थामा ने पांडव समझ कर उनके पांचों पुत्रों की हत्या कर दी और उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी जान से मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। भगवान श्री कृष्ण ने अपने सभी पुण्य फल को एकत्र कर उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को देकर पुनर्जीवित किया जो बड़ा होकर परीक्षित बना। तब से संतान की लंबी उम्र एवं स्वास्थ्य की कामना के लिए जीवित्पुत्रिका का व्रत किया जाता है।