Khwaja Gharib Nawaz Urs 2025 || ख्वाजा गरीब नवाज के 813वें उर्स में पाकिस्तानी जायरीनों का आगमन: एकता और भाईचारे का संदेश

Khwaja Gharib Nawaz Urs 2025

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Khwaja Gharib Nawaz Urs 2025 अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती गरीब नवाज के 813वें उर्स के अवसर पर पाकिस्तान से आए 89 जायरीनों के दल ने शिरकत की। यह दल वाघा बॉर्डर के जरिए भारतीय सीमा में प्रवेश कर अजमेर पहुंचा। इनके साथ पाकिस्तान एंबेसी के दो अधिकारी भी मौजूद रहे।

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अजमेर में पहुंचने पर शानदार स्वागत

अजमेर रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद पाकिस्तानी जायरीनों का जोरदार स्वागत किया गया। यहां पहुंचने पर इन जायरीनों ने ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में दुआ की और उनकी शान में नात पेश की। एक जायरीन ने भावुक होकर “मेरे ख्वाजा पिया, दर पर बुलवा लिया” नात गाई। सभी जायरीनों ने एकजुट होकर दुआ मांगी और ख्वाजा साहब की दरगाह में अपनी श्रद्धा अर्पित की।

मिठाइयां और फूलों का खास तोहफा

पाकिस्तान से आए जायरीनों ने ख्वाजा साहब के दरबार में वहां की मशहूर मिठाइयां और विशेष फूलों के गुलदस्ते भेंट किए। इन जायरीनों ने कहा कि वे दरगाह में हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच बेहतर रिश्ते कायम होने और दोनों देशों के बीच एकता के लिए दुआ करेंगे। एक जायरीन ने कहा, “माशाअल्लाह, दोनों देशों के रिश्ते अच्छे हैं, और हम उम्मीद करते हैं कि ये और बेहतर होंगे।”

कड़ी सुरक्षा के बीच यात्रा

अजमेर जीआरपी के सीओ ने बताया कि पाकिस्तानी जायरीनों का जत्था अजमेर रेलवे स्टेशन पर कड़ी सुरक्षा के बीच पहुंचा। इन्हें रिसीव करने के बाद सेंट्रल गर्ल्स स्कूल में ठहरने की व्यवस्था की गई थी, जहां इनके आराम और सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा गया।

उर्स: एकता और शांति का प्रतीक

ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स न केवल आध्यात्मिकता और आस्था का पर्व है, बल्कि यह भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच भाईचारे और सद्भावना का प्रतीक भी है। पाकिस्तानी जायरीनों की इस यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत बनाने की एक नई उम्मीद जगाई है।

समापन

अजमेर की इस पवित्र धरती पर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उर्स एक ऐसा अवसर है, जो हर धर्म, जाति और देश की सीमाओं को लांघकर इंसानियत का संदेश देता है। इस बार पाकिस्तानी जायरीनों की मौजूदगी ने इस आयोजन को और भी खास बना दिया, जो दोनों देशों के बीच एकता और शांति के सपने को संजोए हुए है।

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