कश्मीर आतंकी हमला: कश्मीर हमले के चलते अचानक बदला प्रधानमंत्री मोदी का अंतरराष्ट्रीय दौरा कार्यक्रम
कश्मीर आतंकी हमला: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब का अपना दौरा बीच में छोड़ने का फैसला लिया। मोदी मंगलवार को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (MBS) के निमंत्रण पर दो दिवसीय दौरे पर रियाद पहुंचे थे। लेकिन आतंकी हमले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने अपनी यात्रा को अधूरा छोड़ भारत लौटने का निर्णय लिया।
रद्द हुआ स्टेट डिनर और द्विपक्षीय बैठकें
प्रधानमंत्री मोदी को मंगलवार रात सऊदी नेतृत्व द्वारा आयोजित स्टेट डिनर में भाग लेना था, और बुधवार को क्राउन प्रिंस के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय समझौतों पर बातचीत होनी थी। लेकिन आतंकी हमले की संवेदनशीलता और उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षाओं के चलते यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।
अमेरिका, रूस और अन्य देशों ने जताया समर्थन
कश्मीर में हुए इस हमले को लेकर अमेरिका, रूस, इटली और सऊदी अरब सहित कई देशों ने भारत के प्रति एकजुटता दिखाई है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पीएम मोदी से बातचीत कर संवेदना व्यक्त करेंगे। वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी हमले की निंदा करते हुए कहा कि दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए।
सऊदी क्राउन प्रिंस ने जताई हमले की निंदा
सऊदी अरब में भारतीय राजदूत सुहेल एजाज खान के अनुसार, पीएम मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच हमले को लेकर चर्चा हुई। क्राउन प्रिंस ने आतंकी कार्रवाई की कड़ी निंदा की और भारत को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
2019 के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला, 27 की मौत
यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। मंगलवार दोपहर करीब 2:45 बजे पहलगाम की बैसारन घाटी में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने पर्यटकों पर अचानक फायरिंग शुरू कर दी। इस हमले में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें यूएई और नेपाल के पर्यटक भी शामिल हैं। 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
पीएम मोदी करेंगे उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक
भारत लौटने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय सुरक्षा कैबिनेट की आपात बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक में हमले की जांच, सुरक्षा रणनीति और भविष्य की कार्रवाई पर चर्चा की जाएगी।
कश्मीर में हुआ यह आतंकी हमला न सिर्फ भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
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