Nagar Nikay Election || पिछले पांच वर्षों से झारखंड में नगर निकाय चुनाव लंबित रहने के कारण अब इसके नकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। धीरे-धीरे यह स्पष्ट हो रहा है कि चुनाव न होने की वजह से शहरों को किस प्रकार नुकसान उठाना पड़ रहा है। केंद्र सरकार ने धनबाद और रांची में वायु गुणवत्ता सुधारने के लिए धन आवंटित तो किया, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि यह राशि तब तक जारी नहीं की जाएगी जब तक नगर निकाय चुनाव संपन्न नहीं हो जाते।
स्वच्छ वायु परियोजना पर रोक
केंद्र सरकार ने धनबाद नगर निगम के लिए 94.48 करोड़ और रांची नगर निगम के लिए 20.25 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया है। यह धनराशि शहरों को प्रदूषण मुक्त बनाने और स्वच्छ वायु सुनिश्चित करने के लिए थी। लेकिन वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने यह शर्त रखी है कि यह फंड तभी जारी होगा जब नगर निकाय चुनाव संपन्न होंगे। मंत्रालय के एडिशनल डायरेक्टर एन. सुब्रमण्यम ने देश के अन्य सात बड़े नगर निकायों की राशि पर भी अलग-अलग कारणों से रोक लगाई है।
चुनाव की देरी का कारण
झारखंड में नगर निकाय चुनावों में देरी का मुख्य कारण ओबीसी आरक्षण है। झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने मध्य प्रदेश के मॉडल पर पिछड़े वर्गों के लिए वार्ड आरक्षित करने की सिफारिश की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने थ्री लेयर सर्वे का निर्देश दिया है, जिससे आरक्षण प्रक्रिया में समय लग रहा है।
धनबाद और रांची नगर निगम की स्थिति
धनबाद नगर निगम की निवर्तमान समिति का कार्यकाल 20 जून 2020 को समाप्त हो चुका है। वहीं, राज्य के अन्य 32 नगर निकायों में भी पिछले दो-तीन वर्षों से चुनाव लंबित हैं। अगस्त महीने में धनबाद के निवर्तमान मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल और 55 पार्षदों ने मशाल जुलूस निकालकर चुनाव कराने की मांग की थी। हालांकि, राज्य सरकार की चुप्पी के कारण चुनाव अब तक नहीं हो पाए हैं।
नई सरकार से उम्मीदें
नई सरकार के गठन के बाद नगर निकाय चुनाव कराए जाने की संभावनाएं बढ़ी हैं। केंद्र सरकार द्वारा फंड पर रोक लगाने के बाद राज्य सरकार पर दबाव बढ़ रहा है कि वह जल्द से जल्द चुनाव संपन्न कराए ताकि विकास कार्यों को गति दी जा सके।
नगर निकाय चुनावों में हो रही देरी झारखंड के शहरी विकास को प्रभावित कर रही है। अब यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि चुनाव प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा कराकर फंड का उपयोग सुनिश्चित करें और शहरों को प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।