Kerala RTI Compensation: सूचना न देने या देर करने पर आवेदकों को मिलेगा मुआवज़ा
RTI Lapses in Kerala: केरल राज्य सूचना आयोग (Kerala State Information Commission) ने सूचना के अधिकार (RTI) अधिनियम के अंतर्गत एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए कहा है कि यदि कोई सरकारी विभाग RTI आवेदक को तय समय पर जानकारी नहीं देता या गलत सूचना देता है, तो उस पर मुआवज़ा देने की ज़िम्मेदारी बनती है। आयोग ने साफ तौर पर कहा कि यह अधिकार केवल जानकारी तक सीमित नहीं, बल्कि निष्पक्ष सूचना मिलने की गारंटी भी है।
जानकारी में देरी पर बढ़ी शिकायतें
RTI Lapses in Kerala: सूचना आयोग के मुताबिक, बीते वर्षों में ऐसी शिकायतों की संख्या बढ़ी है, जिनमें समय पर जानकारी नहीं दी गई, या अधूरी व भ्रामक जानकारी साझा की गई। आयोग ने स्पष्ट किया कि आरटीआई अधिनियम की धारा 19(8)(b) के तहत वह विभागों को निर्देश दे सकता है कि आवेदक को उचित मुआवज़ा दिया जाए।
यह है आयोग का तर्क
राज्य सूचना आयुक्त ए ए शिरीन ने हाल ही में एक मामले में आदेश जारी करते हुए कहा कि सरकारी विभागों को पारदर्शिता का पालन करना अनिवार्य है। यदि विभाग जानबूझकर जानकारी रोके या जवाब देने में देरी करे, तो यह नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है। आयोग ने संबंधित विभाग को निर्देश दिया कि वह आवेदक को उत्पन्न मानसिक पीड़ा और देरी के लिए मुआवज़ा दे।
आरटीआई कार्यकर्ताओं ने फैसले का स्वागत किया
केरल में आरटीआई कार्यकर्ताओं और नागरिक समाज संगठनों ने इस फैसले को नागरिकों के हक में मील का पत्थर बताया है। इससे विभागों पर जवाबदेही बढ़ेगी और पारदर्शिता की दिशा में मजबूती मिलेगी।
क्या कहता है आरटीआई कानून
आरटीआई अधिनियम 2005 के तहत, किसी भी सरकारी विभाग को 30 दिनों के अंदर सूचना देनी होती है। यदि यह सूचना नहीं दी जाती है या गलत दी जाती है, तो संबंधित अधिकारी पर जुर्माना और अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। अब केरल सूचना आयोग ने मुआवज़े को भी इसमें जोड़ दिया है, जो आवेदक के अधिकारों की सुरक्षा को और मजबूत करता है।