Sindri News: चैती छठ, एक प्रमुख हिन्दू पर्व है जिसे विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और अन्य पूर्वी भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। यह पर्व खासतौर पर व्रति और सूर्यदेव की पूजा से जुड़ा होता है, और हर साल हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर सप्तमी तक मनाया जाता है। सिंदरी में इस साल चैती छठ का पर्व विशेष धूमधाम से मनाया गया, जहाँ स्थानीय लोगों ने इस पर्व को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया।
सिंदरी में चैती छठ का आयोजन
आज, 3 अप्रैल को सिंदरी में चैती छठ का आयोजन शिव मंदिर, सहरपुरा आई एम टाइप 7, लेख बीआईटी में हुआ। यह आयोजन स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक घटना था। इस मौके पर न केवल धार्मिक अनुष्ठान हुए, बल्कि क्षेत्र के प्रमुख लोग और गणमान्य नागरिक भी शामिल हुए, जिन्होंने इस पर्व की महत्ता को समझते हुए अपनी उपस्थिति दर्ज की।
मुख्य अतिथियों का आगमन
इस धार्मिक आयोजन में सिंदरी के प्रमुख व्यक्तित्वों ने भाग लिया, जिनमें दिनेश सिंह, बृजेश सिंह, शैलेंद्र द्विवेदी, प्रशांत दुबे, कामेश्वर सिंह, राज बिहारी सिंह और विदेशी सिंह जैसे सम्मानित लोग शामिल थे। इन लोगों का योगदान केवल धार्मिक उत्सव तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने अपने सामाजिक कार्यों और क्षेत्र में किए गए योगदान से भी इस आयोजन को विशेष बनाया।
पर्व की खासियत
चैती छठ पर्व में मुख्य रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है। व्रति महिलाएं दिनभर उपवासी रहकर सूर्य देवता की पूजा करती हैं और शाम को अस्ताचल सूर्य की पूजा के बाद अर्घ्य अर्पित करती हैं। यह पर्व समृद्धि, सुख-शांति, और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के रूप में मनाया जाता है। सिंदरी में इस अवसर पर गंगा जैसी नदियों के किनारे सूर्य पूजा का आयोजन हुआ, जहाँ भक्तों ने एकजुट होकर सूर्य देव की पूजा अर्चना की।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्त्व
चैती छठ न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह समाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है। इस दिन को लेकर स्थानीय लोगों में खास उत्साह था, क्योंकि यह अवसर उन्हें अपने परिवार, दोस्तों और समुदाय के साथ जुड़ने का अवसर देता है। यहां पर सिंदरी के विभिन्न क्षेत्रों से लोग एकत्रित हुए थे, और आपसी भाईचारे और सामूहिकता का अहसास हुआ।
समारोह के दौरान गीत और संगीत
इस खास मौके पर सिंदरी के गाने-माने लोग भी उपस्थित थे, जो लोक गीतों और संगीत के माध्यम से इस पर्व को और भी उल्लासपूर्ण बना रहे थे। बृजेश सिंह और दिनेश सिंह जैसे प्रमुख लोग अपने गीतों से श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रहे थे। साथ ही शैलेंद्र द्विवेदी, प्रशांत दुबे, कामेश्वर सिंह, और अन्य लोग अपने विचार और संदेशों के माध्यम से उपस्थित लोगों को प्रेरित कर रहे थे।