Sunita Williams || अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पर मौजूद एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर एक बड़ी दुर्घटना से बच गए। आईएसएस के चार किलोमीटर के दायरे में 2015 में नष्ट हुए एक वेदर सैटेलाइट का टुकड़ा आने वाला था। इस खतरनाक स्थिति को भांपते हुए, दोनों एस्ट्रोनॉट्स ने प्रोग्रेस कार्गो अंतरिक्ष यान के इंजन को 5.5 मिनट तक चालू रखा। इस प्रक्रिया ने स्टेशन की कक्षा बदल दी और संभावित टकराव से बचा लिया। हालांकि, ये कुछ मिनट तनाव और चुनौती से भरे थे।
मलबे के बढ़ते खतरे पर सुनीता का संदेश
इस घटना पर बात करते हुए सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष मलबे की समस्या को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने टीम की इस खतरे से निपटने की तैयारी की सराहना की। यह घटना अंतरिक्ष अभियानों में बढ़ते मलबे के खतरों को उजागर करती है, जो अंतरिक्ष यात्रियों और मिशनों के लिए गंभीर चुनौती बनती जा रही है।
अंतरिक्ष मलबे का बढ़ता खतरा
आईएसएस को 1999 में लॉन्च होने के बाद से अब तक 32 बार अंतरिक्ष मलबे से बचाने के लिए कक्षा बदलनी पड़ी है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्पेसएक्स के स्टारलिंक जैसे बड़े सैटेलाइट समूह इस समस्या को और गंभीर बना रहे हैं। फिलहाल स्टारलिंक के 6,600 सक्रिय उपग्रह हैं, और इसे 40,000 तक बढ़ाने की योजना है। यह अंतरिक्ष में भीड़भाड़ और मलबे का खतरा कई गुना बढ़ा देगा।
अंतरिक्ष अभियानों के लिए बढ़ती चुनौतियां
इस घटना ने एक बार फिर अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे की समस्या पर ध्यान केंद्रित किया है। अंतरिक्ष की संभावनाएं तो अनंत हैं, लेकिन बढ़ते मलबे के कारण रिसर्च और अभियानों को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। सुनीता विलियम्स और उनकी टीम की सूझबूझ से यह हादसा टल गया, लेकिन यह अंतरिक्ष में बेहतर प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करता है।