Today in Indian History || 6 दिसंबर 1992 का दिन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में दर्ज है। इस दिन उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगर में स्थित विवादित बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया। यह घटना न केवल भारत की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव डालने वाली थी, बल्कि धर्म और सांप्रदायिकता के मुद्दों को भी नई धार देने वाली साबित हुई।
बाबरी मस्जिद का ऐतिहासिक संदर्भ
- बाबरी मस्जिद का निर्माण 16वीं शताब्दी में मुगल शासक बाबर के आदेश से किया गया था।
- हिंदू समुदाय का मानना है कि यह मस्जिद भगवान राम के जन्मस्थल पर बनाई गई थी, जिसे राम जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है।
- वर्षों से, यह स्थान हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच विवाद का केंद्र रहा है।
6 दिसंबर 1992 की घटना
- कारसेवकों का जुटान: अयोध्या में लाखों कारसेवक राम जन्मभूमि आंदोलन के तहत जुटे।
- मस्जिद विध्वंस: उग्र भीड़ ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। यह दावा किया गया कि यहाँ राम मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू होना चाहिए।
- प्रतिक्रिया: इस घटना के बाद पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे।
- नुकसान: सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन दंगों में लगभग 400 लोगों की जान गई और कई स्थानों पर हिंसा का दौर चला।
घटना के बाद का प्रभाव
1. राजनीतिक प्रभाव:
- बाबरी मस्जिद विध्वंस ने भारतीय राजनीति में हिंदुत्व और धर्म आधारित राजनीति को केंद्र में ला दिया।
- इस घटना के बाद कई राजनीतिक दलों ने धर्म के मुद्दे को अपने एजेंडे में शामिल किया।
2. कानूनी विवाद:
- विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर वर्षों तक अदालतों में मुकदमे चलते रहे।
- सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को एक ऐतिहासिक निर्णय में विवादित भूमि रामलला को सौंप दी और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक भूमि देने का आदेश दिया।
3. सामाजिक प्रभाव:
- घटना के बाद हिंदू-मुस्लिम संबंधों में गहरी खाई पैदा हो गई।
- सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे पर समाज में लंबी बहस शुरू हुई।
अंतर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण
- इस घटना की निंदा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी की गई।
- कई देशों में भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर सवाल उठे।
आज का संदेश
बाबरी मस्जिद विध्वंस भारतीय समाज के लिए एक गहरी सीख है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि धर्म और राजनीति का संयोजन सामाजिक ताने-बाने को कितना प्रभावित कर सकता है।
“सच्चे धर्म का उद्देश्य एकता और प्रेम फैलाना है, न कि विभाजन और हिंसा।”
निष्कर्ष
6 दिसंबर 1992 भारतीय इतिहास का ऐसा अध्याय है, जो हमें सामाजिक एकता, शांति और सहिष्णुता के महत्व की याद दिलाता है। आज, हम सभी को यह समझने की जरूरत है कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है, और इसे बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।