Wife Murder Case: शक के चलते वारदात, बच्चों के बयान से खुला राज, ग्रामीणों में आक्रोश
Wife Murder Case: धनबाद के राजगंज थाना क्षेत्र अंतर्गत कानाटांड़ गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। शनिवार सुबह मनबोध पंडित उर्फ मनबोध कुम्हार ने अपनी पत्नी लक्ष्मी देवी (27 वर्ष) की गला दबाकर हत्या कर दी और फिर शव को घर के पीछे लगभग आधा किलोमीटर दूर खेत के समीप झाड़ियों में गड्ढा खोदकर दफना दिया। वारदात के बाद पति ने इसे छुपाने की कोशिश की, लेकिन लक्ष्मी के मायके पक्ष के लोगों के हस्तक्षेप से मामला उजागर हुआ।
शक में डूबे पति ने कुबूला जुर्म, पुलिस ने किया गिरफ्तार
सूचना मिलने पर मृतका के मायके वाले कानाटांड़ गांव पहुंचे और जब मनबोध पर दबाव बनाया तो उसने खुद कबूल किया कि उसने ही शक के आधार पर अपनी पत्नी की हत्या की है। आरोपी ने बताया कि उसे संदेह था कि उसकी पत्नी का किसी और से प्रेम संबंध है, इसी संदेह में उसने हत्या की साजिश रच दी। घटना की सूचना पर राजगंज थाना प्रभारी अलिशा कुमारी मौके पर पहुंचीं और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में भी उसने हत्या की बात स्वीकार की है।
बच्चों ने किया खुलासा, मौसी से मिली जानकारी
मृतका के बेटे नरेश और बेटी रिया ने पुलिस को बताया कि उनके बाबा (दादा) ने उन्हें बताया कि मम्मी को गला दबाकर मार दिया गया है। बच्चों ने यह जानकारी अपनी मौसी से सुनी और पुलिस को दी। दोनों बच्चों ने यह भी बताया कि दो दिन पहले ही उनके पिता काम से लौटे थे और मम्मी के साथ झगड़ा करने लगे थे। यह झगड़ा ही इस खौफनाक वारदात में बदल गया।
मृतका के चेहरे पर चोट के निशान, बहन ने जताई थी चिंता
लक्ष्मी की बहन नेहा ने पुलिस को बताया कि 1 मई को उसकी बहन अचानक अपने मायके नर्रा पंचायत, चंद्रपुरा पहुंची थी। उसके चेहरे और शरीर पर चोट के कई निशान थे। पूछने पर उसने बताया कि उसके पति ने उसे पीटा है। 2 मई को वह अपने ससुराल लौटी और 3 मई को दोपहर में यह घटना हो गई।
गांव में पसरा मातम, बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता
घटना के बाद गांव में मुखिया बाबूलाल महतो, पंसस धनंजय प्रसाद महतो, नर्रा मुखिया निरंजन महतो सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण और सामाजिक कार्यकर्ता पहुंचे। ग्रामीणों में आक्रोश का माहौल है और सभी बच्चों की स्थिति को लेकर चिंतित हैं। दादा फरार है, पिता जेल में और मां की मौत हो चुकी है। ननिहाल में कोई स्थायी सहारा नहीं है, सिर्फ अविवाहित मौसियां हैं।
निष्कर्ष
पारिवारिक कलह और संदेह ने छीनी एक मां की जिंदगी, मासूमों के भविष्य पर सवाल
राजगंज की यह घटना पारिवारिक अविश्वास और हिंसा की भयावह परिणति को दर्शाती है। एक औरत ने अपनी जान गंवा दी, दो मासूम बच्चों का संसार उजड़ गया और समाज एक बार फिर सोचने को मजबूर है कि रिश्तों में शक और संवादहीनता कितना बड़ा विनाश ला सकती है।