World Disability Day || हर साल 3 दिसंबर को विश्व विकलांगता दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को प्रोत्साहित करना, उनके योगदान को सम्मान देना और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए जागरूकता फैलाना है। यह दिवस समाज में समानता और समावेशन की भावना को बढ़ावा देने का प्रतीक है।
विश्व विकलांगता दिवस का इतिहास
1992 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 दिसंबर को विश्व विकलांगता दिवस के रूप में घोषित किया। इसका मुख्य उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करना और उनकी चुनौतियों को समझते हुए उनके लिए अवसर पैदा करना था।
थीम और उद्देश्य
हर साल इस दिवस की एक विशेष थीम होती है, जो विकलांग व्यक्तियों के जीवन के किसी खास पहलू पर केंद्रित होती है।
2024 की थीम: “समावेशी समाज के लिए तकनीक का उपयोग”
इसका उद्देश्य तकनीकी नवाचार के माध्यम से विकलांग व्यक्तियों की जिंदगी को आसान बनाना है।
विकलांगता और समाज की भूमिका
- समावेशी शिक्षा: हर बच्चे को समान अवसर देने के लिए विशेष शिक्षा योजनाओं की जरूरत है।
- स्वास्थ्य सुविधाएं: विकलांग व्यक्तियों को विशेष स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य है।
- रोजगार के अवसर: विकलांग व्यक्तियों को कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार योग्य बनाना चाहिए।
सरकारी और सामाजिक पहल
दिव्यांग सशक्तिकरण योजना: भारत सरकार ने विकलांग व्यक्तियों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
समाज का समर्थन: कई गैर-सरकारी संगठन और सामुदायिक समूह विकलांग व्यक्तियों के उत्थान में योगदान दे रहे हैं।
जागरूकता फैलाने की आवश्यकता
विकलांगता केवल शारीरिक या मानसिक स्थिति नहीं है; यह समाज की सोच का भी हिस्सा है। समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए जागरूकता फैलाना जरूरी है।
विश्व विकलांगता दिवस हमें यह सिखाता है कि विकलांगता किसी की क्षमताओं को कम नहीं करती। हमें अपने समाज को समावेशी और सहानुभूतिपूर्ण बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। चलिए, इस दिवस को केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि समानता और सशक्तिकरण का पर्व बनाएं।
“समावेशन ही सशक्तिकरण का पहला कदम है।”