धनबाद: धनबाद जिला कांग्रेस कमिटी के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार सिंह ने केन्द्रीय बजट पर कहा कि वित्त मंत्री का ये बजट बहुत ही निराशाजनक था। ये पूरा बजट सरकार की कमजोरी और अस्थिरता का उदाहरण है। पूरा बजट दो प्रदेशों और दो विशेष राजनीतिक दलों को तवज्जो देने के लिए था, क्योंकि सरकार को अपनी कुर्सी बचानी है। इसमें मध्यम वर्ग, किसानों और बेरोजगारों के लिए कुछ भी नहीं था। लेकिन इसमें उन उद्योगपतियों के लिए बहुत कुछ था, जो भाजपा को चंदा देते हैं। कांग्रेस के द्वारा राहुल गांधी जी के नेतृत्व में सम्पन्न न्याय यात्रा के एजेंडे को ठीक तरह से कॉपी भी नहीं कर पाया मोदी सरकार का “नकलची बजट”! मोदी सरकार का बजट अपने गठबंधन के साथियों को ठगने के लिए आधी-अधूरी “रेवड़ियां” बाँट रहा है, ताकि एनडीए बची रहे। ये “देश की तरक्की” का बजट नहीं, “मोदी सरकार बचाओ” बजट है!
1. दस साल बाद उन युवाओं के लिए सीमित घोषणाएं हुईं हैं, जो सालाना दो करोड़ नौकरियों के जुमले को झेल रहे हैं।
2. किसानों को लिए केवल सतही बातें हुईं हैं, डेढ़ गुना MSP और आय दोगुना करना – सब चुनावी धोखेबाज़ी निकली ! ग्रामीण वेतन को बढ़ाने का इस सरकार का कोई इरादा नहीं है।
3.दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक, माध्यम वर्ग और गाँव-ग़रीब लोगों के लिए कोई भी क्रांतिकारी योजना नहीं है, जैसी कांग्रेस-UPA ने लागू करी थी। “ग़रीब” शब्द केवल स्वयं की branding करने का ज़रिया बन गया है, ठोस कुछ भी नहीं है !
4.महिलाओं के लिए इस बजट में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे उनकी आर्थिक क्षमता बढ़े और वो workforce में अधिक से अधिक शामिल हों।
5. उल्टा महँगाई पर सरकार अपनी पीट थपथपा रही है, जनता की गाढ़ी कमाई लूट कर वो पूंजीपति मित्रों में बाँट रही है!
6.कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, जन-कल्याण और आदिवासियों पर बजट में आवंटन से कम खर्च किया है क्योंकि ये भाजपा की प्राथमिकताएँ नहीं हैं। इसी तरह Capital Expenditure पर 1 लाख करोड़ कम खर्च किया है, तो फिर नौकरियाँ कहाँ से बढ़ेंगी?
7.शहरी विकास, ग्रामीण विकास, Infrastructure, Manufacturing, MSME, Investment, EV योजना – सब पर केवल Document, Policy, Vision, Review आदि की बात की गई है, पर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है।
8.आये दिन रेल हादसे हो रहें हैं, ट्रेनों को बंद किया गया है, कोच की संख्या घटी है, आम यात्री परेशान हैं, पर बजट में रेलवे के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, कोई जवाबदेही नहीं है।
9.Census व जातिगत जनगणना पर भी कुछ नहीं बोला गया है, जबकि ये पाँचवा बजट है जो बिना Census के प्रस्तुत किया जा रहा है! ये हैरान कर देने वाली अप्रत्याशित नाकामी है – जो लोकतंत्र और संविधान के ख़िलाफ़ है !
10. 20 मई 2024, यानि चुनाव के दौरन ही, मोदी जी ने एक साक्षात्कार में दावा किया था कि “सौ दिनों का एक्सन पलान हमारे पास पहले से ही है”…
जब एक्सन पलान, दो महीने पहले था, तो कम से कम बजट में ही बता देते! बजट में न कोई प्लान है, और भाजपा केवल जनता से धोखेबाज़ी करने के रास्ते में व्यस्त है।