World Breastfeeding Week | लायंस क्लब कतरास ने विश्व स्तनपान दिवस पर श्रीकृष्णा मातृ सदन रानी बाजार में लगाया गया शिविर, कामकाजी महिलाओं को स्तनपान के प्रति किया गया जागरूक

Katras | महिलाओं को सम्बोधित करते हुए डॉ विश्वनाथ चौधरी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष अगस्त माह के पहले सप्ताह में विश्व स्तनपान दिवस मनाया जाता है. इसका उद्देश्य महिलाओं को स्तनपान के प्रति जागरूक करना होता है. साथ ही कामकाजी महिलाओं को उनके स्तनपान संबंधी अधिकार के प्रति जागरूकता प्रदान करना. इसी प्रोगाम के तहत आज 6 अगस्त को श्री कृष्णा मातृ सदन कतरास में यह आयोजन किया गया है।

महिलाओं को सम्बोधित करते हुए डॉ शिवानी झा ने कहा की स्तनपान कराने वाली महिलाओं को किसी भी प्रकार की असुविधाएं ना हो डब्ल्यूएचओ की सिफारिश के अनुसार नवजात शिशु के लिए पीला गाढ़ा चिपचिपा युक्त मां के स्तन का दूध कोलेस्ट्रम संपूर्ण आहार होता है जिसे बच्चे के जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के भीतर ही शुरू कर देना चाहिए सामान्यता बच्चे को 6 महीने की अवस्था तक केवल स्तनपान कराने की सलाह दी जाती है उसके बाद 5 वर्ष अथवा उससे अधिक जब तक स्तन से दुध आता है तब तक स्तनपान कराने के साथ-साथ पौष्टिक पूरक आहार भी देना चाहिए स्तन में दूध पैदा होना एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जब तक बच्चा दूध पीता है तब तक स्तन में दूध पैदा होता है एवं बच्चे के दूध पीना छोड़ने के पश्चात कुछ समय बाद अपने आप ही स्तन से दूध बनना बंद हो जाता है। स्तनपान क्यों ज़रूरी है? शिशु के लिए स्तनपान संरक्षण और संवर्धन का काम करता है। रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नए जन्मे हुए बच्चे में नहीं होती है। यह शक्ति माँ के दूध से शिशु को हासिल होती है। माँ के दूध में लेक्टोफोर्मिन नामक तत्त्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्त्व को बांध लेता है और लौह तत्त्व के अभाव में शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते। माँ के दूध से आए साधारण जीवाणु बच्चे की आंत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें पनपने नहीं देते। माँ के दूध में रोगाणु नाशक तत्त्व होते हैं। माँ का दूध जिन बच्चों को बचपन में पर्याप्त रूप से पीने को नहीं मिलता, उनमें बचपन में शुरू होने वाली मधुमेह की बीमारी अधिक होती है। बुद्धि का विकास उन बच्चों में दूध पीने वाले बच्चों की अपेक्षाकृत कम होता है। अगर बच्चा समय से पूर्व जन्मा (प्रीमेच्योर) हो, तो उसे बड़ी आंत का घातक रोग, नेक्रोटाइजिंग एंटोरोकोलाइटिस हो सकता है। इसलिए माँ का दूध छह-आठ महीने तक बच्चे के लिए श्रेष्ठ ही नहीं, जीवन रक्षक भी होता है।
लायन मधुमाला ने कहा की स्तनपान शिशु के जन्म के पश्चात एक स्वभाविक क क्रिया है। भारत में अपने शिशुओं का स्तनपान सभी माताऐं कराती हैं, परन्तु पहली बार माँ बनने वाली माताओं को शुरू में स्तनपान कराने हेतु सहायता की आवश्यकता होती है। स्तनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव में जानकारी न होने के कारण बच्चों में कुपोषण का रोग एवं संक्रमण हो जाते हैं।
मनीषा मीनू न्यूट्रीशियन ने कहा कि स्तनपान कराने से मां और शिशु दोनों को फायदा होता है। शिशु को होने वाले फायदे: पहला अच्छा और सम्पूर्ण आहार होता है मां का दूध, दूसरा दूध में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रम शिशु को प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है, तीसरा शिशु को रोगों से बचाता है एवं चौथा शिशु की वृद्धि अच्छे से होती है, इसलिए प्रत्येक महिलाओं को सलाह दी जाती है कि गर्भ रुकने के प्रथम माह से ही अपने पौस्टिक आहार में हरी सब्जी, साग, फल, दूध छैना ड्राई फ्रूट्स मांस मछली का सेवन करें जिससे बच्चे के जन्म के तरुंत बाद माँ को दूध आना शुरू हो जाता है।
कर्यक्रम में मुख्य रूप से लायंस क्लब कतरास के प्रेसिडेंट डॉ विश्वनाथ चौधरी, डॉ शिवानी झा, श्रीमति उषा चौधरी, लायंस क्लब कतरास के ट्रेजरर श्रीमती मधुमाला, मनीषा मीनू, लायंस क्लब कतरास के डायरेक्टर रितेश दुबे उपस्थित थे। कर्यक्रम को सफल बनाने में श्री कृष्णा मातृ सदन के सभी सहकर्मी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।