खोज: मंगल की सतह के नीचे गहराई में पानी का लगा पता, जीवन संभव

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वॉशिंगटन । नासा के इनसाइट्स लैंडर के नए सेस्मिक नए आकड़े जारी किए हैं इसमें बताया गया है कि मंगल की सतह के नीचे गहराई में पानी का एक विशाल भंडार हो सकता है। अध्ययनों में वाटर चैनल्स और लहरों के प्रमाण मिले हैं। यह साबित करते हैं कि प्राचीन काल में मंगल ग्रह पर नदियां और झीलें मौजूद थीं। इसके बावजूद ग्रह तीन अरब साल से एक रेगिस्तान रहा है। वजह, अपना वायुमंडल खोने के बाद इसका सारा पानी सूरज की भेंट चढ़ गया। यह पानी मंगल ग्रह पर जिंदगी के लिए बेहद अहम हो सकता है। प्रोफेसर मंगा ने कहा कि धरती का अधिकांश पानी जमीन के नीचे है। हमेशा इस बात की संभावना है कि मंगल ग्रह पर भी ऐसा ही हो सकता है, जिसे धरती का जुड़वां कहा जाता है। पानी के बिना जिंदगी का अस्तित्व संभव नहीं है। ऐसे में यह खोज इस बात का इशारा करती है कि जमीन के अंदर रहने लायक वातावरण हो सकता है। मंगल पर जलचक्र का अध्ययन करना इसकी जलवायु, बाहरी सतह और इसके अंदरूनी हिस्सों के विकास को समझने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। नासा के इनसाइट ने दिसंबर 2022 में अपना मिशन पूरा कर लिया, लेकिन लैंडर चार साल तक मंगल की सतह पर भूकंपीय तरंगों को रिकॉर्ड करना जारी रखेगा। लैंडर ने लगभग 1,319 भूकंप दर्ज किए हैं। इसके बाद भूकंपीय तरंगों की गति को मापकर, वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है कि जमीन के अंदर किस तरह की चीजें होने की संभावना है। इससे संबंधित खोज नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित हुई है। इसी तरह की तकनीक धरती पर पानी, गैस या तेल की संभावना जांचने के लिए इस्तेमाल की जाती है। गौरतलब है कि पूर्व में हुई स्टडी में मंगल ग्रह के ध्रुवों पर जमे हुए पानी और इसके वातावरण में जल वाष्प की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। लेकिन यह पहली बार है जब ग्रह पर तरल पानी पाया गया है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी बर्कले के प्रोफेसर माइकल मंगा के मुताबिक किसी ग्रह के विकास को आकार देने में पानी की भूमिका बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि यह खोज एक बड़े सवाल का जवाब देती है कि मंगल ग्रह का सारा पानी कहां गया।