Remote Sensing and GIS: अनुसंधान में अनुप्रयोग पर BIT SINDRI में एक सप्ताह का कार्यशाला का हुआ शुभारंभ

Remote Sensing and GIS

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Remote Sensing and GIS: झारखंड विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार परिषद, रांची (Jharkhand Council of Science, Technology and Innovation, Ranchi) द्वारा प्रायोजित, “रिमोट सेंसिंग और जीआईएस का अनुसंधान में अनुप्रयोग (Application of Remote Sensing and GIS in Research)” विषय पर एक सप्ताह की कार्यशाला का शुभारंभ 09 दिसंबर 2024 को बीआईटी सिंदरी (BIT SINDRI) के असैनिक अभियंत्रण विभाग के राजेंद्र प्रसाद हॉल में हुआ।

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कार्यक्रम का शुभारंभ: परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके की गई। इसके बाद संस्थान के विद्यार्थियों ने कुलगीत और सरस्वती वंदना की मनमोहक प्रस्तुति दी।

मुख्य अतिथि का सम्मान और उद्घाटन संबोधन

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. नीलांचल पटेल, प्राध्यापक, बीआईटी मेसरा का स्वागत संस्थान के निदेशक प्रो. (डॉ.) पंकज राय ने पुष्पगुच्छ देकर किया।
कार्यशाला के संयोजक, प्रो. (डॉ.) जीतू कुजूर ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए इस कार्यशाला को विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण बताया।

कार्यशाला की रूपरेखा और उद्देश्य

प्रो. (डॉ.) कोमल कुमारी, कार्यक्रम की समन्वयक ने कार्यशाला की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए इस आयोजन के उद्देश्य और इसके महत्व को समझाया।

निदेशक का प्रेरणादायक संदेश

संस्थान के निदेशक सह संरक्षक प्रो. (डॉ.) पंकज राय ने अपने संबोधन में भविष्य में ऐसे आयोजनों की निरंतरता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं शैक्षणिक संस्थानों और उद्योगों के बीच की दूरी को कम करने के साथ-साथ विद्यार्थियों को प्रायोगिक ज्ञान प्रदान करती हैं।

विशेषज्ञों के विचार: कार्यशाला की मुख्य झलकियां

  • डॉ. ब्रह्मदेव यादव ने रिमोट सेंसिंग के ज्योटेक्निकल अभियंत्रण में महत्व को रेखांकित किया।
  • डॉ. माया राजनारायण रे ने कार्यशाला के विषय पर प्रकाश डालते हुए इसके उपयोग और संभावनाओं पर चर्चा की।
  • डॉ. नीलांचल पटेल ने एक्सपर्ट लेक्चर के पहले सत्र में रिमोट सेंसिंग के मूलभूत सिद्धांत और अर्बन स्टडीज में इसके अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की।
  • दूसरे सत्र में, डॉ. मधुमिता शाहू ने ऑनलाइन माध्यम से जुड़कर भूमिगत जल और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग के उपयोग पर व्याख्यान दिया।
  • डॉ. रत्नाकर, एनआईटी राउरकेला से, ने बाढ़ प्रबंधन में एसएआर (SAR) के उपयोग पर विचार साझा किए।

कार्यक्रम का समापन और धन्यवाद ज्ञापन

कार्यशाला के सह समन्वयक प्रो. इकबाल शेख ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए आगामी दिनों के सत्रों की जानकारी दी।

कार्यशाला में व्यापक भागीदारी

इस कार्यशाला में संस्थान के सभी स्नातक और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के साथ-साथ अन्य संस्थानों के छात्रों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया।

कार्यक्रम की सफलता के सूत्रधार

इस आयोजन को सफल बनाने में डॉ. उदय कुमार सिंह, प्रो. प्रफुल्ल कुमार शर्मा, डॉ. माया राजनारायण रे, डॉ. निशिकांत किस्कू, डॉ. ब्रह्मदेव यादव, प्रो. कोमल कुमारी, प्रो. इकबाल शेख, प्रो. सरोज मीना, और प्रो. प्रशांत रंजन मालवीय का विशेष योगदान रहा।

नवाचार की ओर एक कदम

कार्यशाला ने रिमोट सेंसिंग और जीआईएस के महत्व और इसके उपयोग को गहराई से समझाने के साथ ही विद्यार्थियों को अनुसंधान में इसके अनुप्रयोगों की बारीकियों से परिचित कराया। यह आयोजन बीआईटी सिंदरी की नवाचार और तकनीकी उत्कृष्टता की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।