भगवत कथा || पूज्य श्री सुरेंद्र हरिदास जी महाराज ने दूसरे दिन के कथा में श्रद्धालुओं को यह बताया कि भगवान की कथा सुनना एक अद्भुत और दिव्य अनुभव है। यह जीवन के सभी दुःखों का अंत करता है और मनुष्य को सच्चे आनंद और शांति का मार्ग दिखाता है।
भगवत कथा का महत्व
महाराज श्री ने कहा कि जो व्यक्ति श्रद्धा और ध्यानपूर्वक भगवत कथा सुनता है, उसके जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है और वह मानसिक शांति प्राप्त करता है। कथा आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का सबसे प्रभावी माध्यम है। उन्होंने कहा:
- ज्ञान का प्रकाश: जैसे अंधेरी रात में दीपक का प्रकाश दिशा दिखाता है, वैसे ही ज्ञान का प्रकाश व्यक्ति को अज्ञान और अंधकार से मुक्त कर सही मार्ग पर ले जाता है।
- पापों से बचाव: महाराज श्री ने मानव जीवन में पापों से बचने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पाप आत्मा पर बोझ बनते हैं और जीवन को नष्ट कर देते हैं।
भगवान की कथा का महत्व और इतिहास
पूज्य महाराज जी ने कथा का ऐतिहासिक महत्व समझाते हुए कहा:
- यह कथा परम वैष्णव बाबा भोलेनाथ ने माता पार्वती को सुनाई थी।
- बाद में सूत जी ने इसे शौनकादिक ऋषियों को और भगवान शुकदेव ने राजा परिक्षित को सुनाया, जिससे उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ।
- कथा का श्रवण वह व्यक्ति करता है, जिसने करोड़ों जन्मों के पुण्य कर्म किए हों।
महाराज जी ने बताया कि भगवत कथा जीवन के पापों और कष्टों से मुक्त करती है। यह मनुष्य को भवसागर से पार कर मोक्ष का मार्ग दिखाती है।
सच्ची शांति और आनंद का अनुभव
कथा सुनने से व्यक्ति:
- आत्मिक शांति का अनुभव करता है।
- परमात्मा से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त करता है।
- अपने जीवन में पुण्य कर्मों को बढ़ावा देता है।
महाराज श्री ने सभी श्रद्धालुओं को प्रेरित किया कि वे अधिक से अधिक पुण्य कर्म करें और भगवत कथा सुनने का अवसर न चूकें।
कथा आयोजन में समाज का योगदान
इस कथा आयोजन को सफल बनाने में समाज के कई लोगों का योगदान रहा, जिनमें प्रमुख हैं:
किशोरी गुप्ता, बिजय झा, अशोक वर्मा, विनय कृष्ण गुप्ता, श्रीकृष्ण गुप्ता, अवधेश कुमार गुप्ता, मनोज कुमार गुप्ता, उदय वर्मा, सुशील खैतान, संजय चौधरी, हिम्मत सिंह, दीपक सोनी, संजय गुप्ता, शिवानी झा, कस्तूरी देवी, गीता देवी, अल्का देवी, बबीता देवी, नर्मदा देवी, मनीषा देवी, कविता गुप्ता, सुष्मा वर्मा, माया खैतान, बिकास साहू, और सुमन देवी।
भगवत कथा आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का दिव्य मार्ग है। यह जीवन के अंधकार को दूर कर सच्चे आनंद का अनुभव कराती है। पूज्य हरिदास जी महाराज ने सभी श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे अपने जीवन को सकारात्मकता और भक्ति से भरें और भगवत कथा का अधिकतम लाभ उठाएं।