RAMGARH | रामगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था खाट पर है. दरअसल जिले के घागरा गांव में सड़क की कोई सुविधा नहीं है. जिसके चलते मरीजों को खाट पर लेटाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है. रामगढ़ के पतरातू प्रखंड में जंगल के बीट से खाट पर लेटाकर ग्रामीण मरीज को लेकर जाते हैं ये तस्वीर एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था के दावों की पोल खोल रही है. झारखंड को बने 2 दशक बीत चुके हैं, लेकिन इन दो दशकों में सिर्फ सत्ता बदली सियासतदान बदले. आम जनता तो आज भी वो बदहाली झेल रही है जो दशकों से झेलती आई है. घागरा गांव में सड़क की कोई सुविधा भी नहीं है, जिसके चलते मरीजों को खाट पर लेटाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है
बिना सड़क कैसे हो गुजारा?
इन गांवों में सिर्फ सड़क ही नहीं बल्कि पीने के पानी स्कूल का भी कोई इंतजाम नहीं है. ना ही गांव में स्वास्थ्य व्यवस्था है, जिसके चलते अगर कोई बीमार पड़ता है तो उसे शहर के अस्पताल ले जाना पड़ता है. उसके लिए भी सड़क नहीं है. ऐसे में खाट के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं होता. मरीज को खाट पर लेटाकर 2 घंटे का रास्ता जंगल के तय करते हुए ग्रामीण अस्पताल पहुंचाते हैं तब जाकर मरीज को इलाज मिल पाता है
मरीजों को खाट का सहारा
ग्रामीणों ने कई बार जंगल काटकर सड़क बनाने की कोशिश भी की, लेकिन वन विभाग ने उनपर केस कर्ज कर दिया. परेशान ग्रामीणों की मानें तो उनकी बदहाली की जानकारी अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक को है, लेकिन आज तक उनकी सुध लेने भी कोई नहीं आया. सरकार बड़े-बड़े मंचों से दावे तो कर देती है, लेकिन उन दावों का असर धरातल पर हो भी रहा है या नहीं ये सुनिश्चित करना स्थानीय जनप्रतिनिधियों अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है, लेकिन लगता है रामगढ़ में शासन के साथ ही प्रशासन भी कुंभकर्णी नींद में सोया है