आस्था : झारखंड में भी है दो नदियों का संगम, तट पर है मां छिन्नमस्तिका मंदिर, रामायण से भी है इस स्थान का संबंध

बोकारो : प्रयागराज का संगम तो विश्व प्रसिद्ध है ही. लेकिन, आज हम आपको झारखंड की राजधानी रांची से करीब 80 किलोमीटर दूर एक ऐसे संगम के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे. यहां भी दो नदियां मिली हैं. इसमें से एक नदी का संबंध प्रभु श्रीराम से है. इसके अलावा यहां एक देवी का मंदिर भी है, जिनका सिर कटा है।
रांची से रामगढ़ आने और धनबाद से रांची जाने के क्रम में रामगढ़ मार्ग पर रजरप्पा है. यहां छिन्नमस्तिका देवी का मंदिर भी है. दरअसल, यहां पर देवी मां का सिर कटी प्रतिमा मौजूद है, जिनको छिन्नमस्तिका देवी के नाम से जाना जाता है। इसी मंदिर के ठीक बगल में दो नदियों का संगम भी है. भैरवी नदी और दामोदर नदी. कहा जाता है कि दामोदर नदी भगवान श्रीराम के आशीर्वाद से निकली है. श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ यहां पधारे थे और माता सीता को जल की आवश्यकता थी.
छिन्नमस्तिका मंदिर के पुजारी सतीश पांडे ने ‘न्यूज़ फास्ट’ को बताया कि यहां खुद श्रीराम चल कर आए थे. पानी की आवश्यकता थी तो भगवान राम के आशीर्वाद से यहां पर दामोदर नदी निकली. इससे माता सीता अपनी दिनचर्या का काम किया करती थी, इसलिए आज भी लोग इस नदी में खासतौर पर स्नान करने आते हैं. इसे काफी पवित्र नदी माना जाता है.
सबसे पहले भक्त इस नदी में स्नान करते हैं. इसके बाद मंदिर में जो भी मनोकामना मांगते हैं वह माता रानी उसे जरूर पूरा करती हैं. यह यहां का आस्था और विश्वास है। यहां पर लोग आसपास के राज्यों से भी आते हैं. यहां पर गाड़ी की पूजा से लेकर मुंडन संस्कार व हर एक पवित्र काम होते हैं.
दामोदर नदी व भैरवी नदी का मिलन प्रयागराज के संगम की याद दिला देगा. इन दोनों नदियों का संगम देखने का भी अपना अलग ही मजा है. दिखने में यह काफी दिलचस्प लगता है. यह संगम आपको प्रयागराज के संगम की याद दिला देगा. लोग इसकी खूबसूरती देखने भी खासतौर पर चलकर आते हैं.

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