अस्तित्व बचाने की जंग | हिंदी कन्या मध्य विद्यालय कतरास को कतरास की धरोहर और गौरव माना जाता है। यह विद्यालय सरकार द्वारा संचालित लड़कियों के लिए एकमात्र शैक्षणिक संस्थान है। इस विद्यालय ने वर्षों से न जाने कितनी छात्राओं को शिक्षा देकर उन्हें देश-विदेश में उच्च पदों पर स्थापित किया है। यहाँ से पढ़ी हुई कई छात्राएं आज राष्ट्र का नाम रोशन कर रही हैं। लेकिन वर्तमान में यह गौरवमयी विद्यालय अपने अस्तित्व और पहचान को खोने की कगार पर है, और इसका कारण है सरकार और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता।
विद्यालय का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। टूटे हुए फर्श और क्षतिग्रस्त दीवारें इसकी दयनीय स्थिति की कहानी खुद बयां करती हैं। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि शिक्षकों के बैठने के लिए एक सही कार्यालय तक नहीं बचा है। विद्यालय का पुराना कार्यालय भवन पूरी तरह से गिर चुका है, जिसके कारण मजबूरी में एक हॉल को अस्थायी कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। भवन का एक हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है, और वहां बच्चियों की सुरक्षा के लिए रस्सी से घेराबंदी की गई है ताकि वे उस खतरनाक क्षेत्र में न जा सकें।
विद्यालय का दूसरा हिस्सा भी अब बेहद कमजोर और खतरनाक स्थिति में है। कई कक्षाओं को “डेंजर जोन” घोषित कर दिया गया है, जिससे वहां पढ़ाई कर पाना संभव नहीं रहा। लेकिन इन खतरनाक स्थितियों के बावजूद, यह विद्यालय किसी तरह अपने संचालन में जुटा हुआ है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस बड़े और ऐतिहासिक विद्यालय में एक चपरासी तक नहीं है। इससे भी अधिक आश्चर्यजनक यह है कि इस गौरवशाली विद्यालय के पास कोई स्थायी प्रधानाध्यापिका नहीं है। फिलहाल एक शिक्षिका को प्रधानाध्यापिका का प्रभार दिया गया है।
हालांकि, प्रभारी प्रधानाध्यापिका अपनी ओर से हरसंभव प्रयास कर रही हैं कि विद्यालय की गरिमा और शिक्षा का स्तर बरकरार रहे। वे साफ-सफाई, पढ़ाई की गुणवत्ता, और सांस्कृतिक गतिविधियों का ध्यान रखने में जुटी हुई हैं। लेकिन यह प्रयास अकेले पर्याप्त नहीं हैं, जब तक कि उच्च स्तर पर इसके सुधार के कदम न उठाए जाएं।
निजी स्कूलों में पढ़ाई आज हर किसी के बस की बात नहीं है, खासकर गरीब परिवारों की बच्चियों के लिए। निजी संस्थानों की भारी भरकम फीस सभी के सामने एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में सरकारी विद्यालय ही गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा का एकमात्र साधन हैं।
चुनावी माहौल में जहां आस्था के मंदिरों को सुधारने और सजाने की बातें जोर-शोर से की जा रही हैं, वहीं शिक्षा के इन मंदिरों की दुर्दशा पर कोई जनप्रतिनिधि या नेता ध्यान नहीं दे रहा है। हिंदी कन्या मध्य विद्यालय, जो कि पंचगढ़ी बाजार में काफी बड़े भू-भाग पर संचालित होता है, अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
इस गंभीर स्थिति पर “जागो संस्था” के संस्थापक और समाजसेवी राकेश रंजन उर्फ चुन्ना यादव ने चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि सरकार, प्रशासन और स्थानीय बुद्धिजीवियों को इस धरोहर को बचाने के लिए आगे आना चाहिए। यह विद्यालय न केवल कतरास की पहचान है, बल्कि उन गरीब परिवारों की बच्चियों के भविष्य का एक मजबूत आधार है, जिन्हें गुणवत्ता युक्त शिक्षा के अवसरों की सख्त जरूरत है।
विद्यालय की स्थिति में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह ऐतिहासिक विद्यालय सिर्फ एक कहानी बनकर रह जाएगा। शिक्षा का यह मंदिर, जो एक समय गौरव का प्रतीक था, आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है।
शिक्षकों की कमी नहीं, कंप्यूटर लैब है:प्रभारी प्रधानाध्यापिका राखी कुमारी
प्रभारी प्रधानाध्यापिका राखी कुमारी कहती हैं कि स्कूल में अनुशासन बनाए रखने, साफ-सफाई की व्यवस्ता, पढ़ाई की गुणवत्ता बनाए रखने, सांस्कृति गतिविधियों का पूरा ख्याल रखा जाता है। वर्तमान में शिक्षकों की कोई कमी नहीं है। कंप्यूटर लैब भी है।
सारे शिक्षकअच्छे हैं, अच्छी होती है पढ़ाई: छात्राएं
सरकार को हिंदी कन्या मध्य विद्यालय कतरास को बचाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
1. भवन की मरम्मत और पुनर्निर्माण:
विद्यालय के जर्जर और ध्वस्त हो चुके भवन की तुरंत मरम्मत कराई जाए। खतरनाक क्षेत्रों को पुनर्निर्माण के जरिए सुरक्षित बनाया जाए ताकि बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
2. प्रधानाध्यापिका और स्टाफ की नियुक्ति:
विद्यालय में स्थायी प्रधानाध्यापिका और अन्य आवश्यक स्टाफ जैसे चपरासी, सफाईकर्मी आदि की नियुक्ति की जाए, ताकि विद्यालय का प्रशासन सही तरीके से चल सके।
3. शिक्षण सामग्री और सुविधाएं प्रदान करना:
छात्राओं के बेहतर शिक्षण के लिए आधुनिक सुविधाएं और संसाधन जैसे कंप्यूटर, पुस्तकें, फर्नीचर और अन्य शिक्षण सामग्री उपलब्ध कराई जाएं।
4. अतिरिक्त कक्षाओं का निर्माण:
विद्यालय में कमरों की कमी और खतरनाक कक्षाओं के स्थान पर नए कक्षाओं का निर्माण किया जाए, ताकि सभी छात्राओं के लिए पर्याप्त जगह हो।
5. विद्यालय के लिए विशेष बजट आवंटन:
विद्यालय की मरम्मत, रखरखाव और विकास के लिए एक विशेष बजट का आवंटन किया जाए, ताकि भविष्य में भी इसका संरक्षण हो सके।
6. स्थानीय प्रशासन और जनता की भागीदारी:
विद्यालय के विकास और सुरक्षा के लिए स्थानीय प्रशासन और समाज के बुद्धिजीवियों को भी जोड़कर योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए।
7. सुरक्षा के उपाय:
विद्यालय में सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए उचित घेराबंदी और निगरानी की व्यवस्था की जाए ताकि छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
8. स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाएं:
विद्यालय में स्वच्छता का ध्यान रखते हुए शौचालय और पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं का प्रबंधन किया जाए। साथ ही, छात्राओं के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन भी नियमित रूप से किया जाए।
9. सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन:
छात्राओं की सर्वांगीण विकास के लिए सांस्कृतिक, शैक्षणिक और खेल-कूद जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार विशेष कार्यक्रम आयोजित करे।
10. मीडिया और जनसंपर्क के जरिए जागरूकता:
विद्यालय की स्थिति पर ध्यान आकर्षित करने और सरकार की योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मीडिया और जनसंपर्क का इस्तेमाल किया जाए।
इन सभी कदमों के जरिए सरकार विद्यालय की गरिमा और अस्तित्व को बचा सकती है और गरीब परिवारों की बच्चियों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकती है।
गरीब परिवारों की बच्चियों के भविष्य का एक मजबूत आधार:राकेश रंजन
इस गंभीर स्थिति पर “जागो संस्था” के संस्थापक और समाजसेवी राकेश रंजन उर्फ चुन्ना यादव ने चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि सरकार, प्रशासन और स्थानीय बुद्धिजीवियों को इस धरोहर को बचाने के लिए आगे आना चाहिए। यह विद्यालय न केवल कतरास की पहचान है, बल्कि उन गरीब परिवारों की बच्चियों के भविष्य का एक मजबूत आधार है, जिन्हें गुणवत्ता युक्त शिक्षा के अवसरों की सख्त जरूरत है। (पूरा Interview YouTube पर)
रिपोर्ट:मुस्तकीम अंसारी, तस्वीरें:गणेश बाउरी की