Dhanbad News: साथी परियोजना के तहत पूर्वी टुंडी के बच्चों को मिला न्यायिक संरक्षण और सरकारी सहयोग
Dhanbad News: डालसा की टीम ने किया बच्चों को रेस्क्यू
Dhanbad News: धनबाद जिले में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार (NALSA) की साथी परियोजना के तहत एक संवेदनशील पहल करते हुए डालसा (DLSA) की टीम ने पूर्वी टुंडी प्रखंड के 10 बेसहारा बच्चों को चिन्हित कर रेस्क्यू किया। ये सभी बच्चे ऐसे थे, जिनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं और वे बिना किसी सहारे के जीवन व्यतीत कर रहे थे।
अवर न्यायाधीश के समक्ष पेश कर जोड़ दिया गया योजना से
बचाव के तुरंत बाद बच्चों को अवर न्यायाधीश सह जिला विधिक सेवा प्राधिकार सचिव श्री मयंक तुषार टोपनों के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उन्होंने CWC (बाल कल्याण समिति) और संबंधित सरकारी विभागों के सहयोग से सभी बच्चों को स्पॉन्सरशिप स्कीम के अंतर्गत जोड़ने की प्रक्रिया पूरी करवाई।
हर माह 4 हजार रुपए मिलेंगे, शिक्षा और भरण-पोषण के लिए
न्यायाधीश श्री मयंक ने बताया कि अब इन सभी बच्चों को सरकार द्वारा प्रत्येक माह ₹4,000 की सहायता राशि प्रदान की जाएगी, जो उनकी बालिग होने तक जारी रहेगी। यह राशि बच्चों की शिक्षा, पोषण और देखभाल सुनिश्चित करेगी, जिससे उनका जीवन बेहतर दिशा में बढ़ सकेगा।
साथी अभियान से जुड़ेगा हर जरूरतमंद बच्चा
NALSA द्वारा शुरू की गई ‘साथी परियोजना’ का उद्देश्य बेसहारा, अनाथ, सड़क पर रहने वाले और शेल्टर होम में रह रहे बच्चों को सरकारी योजनाओं जैसे राशन कार्ड, आधार कार्ड और स्पॉन्सरशिप योजना से जोड़ना है। इसी अभियान के तहत अधिकार मित्र ओमप्रकाश दास ने इन 10 बच्चों की पहचान की थी और आवश्यक दस्तावेज तैयार कर CWC में सरकारी सत्यापन व काउंसलिंग करवाया गया।
हर पंचायत में हो रही है निगरानी
न्यायाधीश ने यह भी बताया कि इस परियोजना को पूरी तरह सफल बनाने के लिए प्रखंड और पंचायत स्तर पर कार्यरत अधिकार मित्रों के साथ लगातार बैठकें की जा रही हैं। इसका उद्देश्य जिले के हर गरीब, लाचार और अनाथ बच्चे तक डालसा की सेवाएं और योजनाएं पहुँचाना है।
निष्कर्ष
Dhanbad Orphan Children Sponsorship Scheme DLSA के माध्यम से साथी परियोजना न केवल बच्चों को तत्काल राहत देती है बल्कि उन्हें भविष्य की ओर सुरक्षित मार्ग भी प्रदान करती है। यह पहल समाज के सबसे कमजोर वर्ग के लिए न्याय और सुरक्षा का मजबूत आधार बन रही है, जिसमें न्यायपालिका और सरकारी संस्थाओं की मानवीय संवेदनाएं सजीव रूप ले रही हैं।