Dhanbad News || 26 दिसंबर 2024 को धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर नेशनल फेडरेशन ऑफ अंबेडकर मिशन और अन्य अंबेडकरवादी संगठनों ने एक दिवसीय धरना एवं विरोध दिवस का आयोजन किया। यह कार्यक्रम गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद में दिए गए आपत्तिजनक बयानों और भारतीय संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के प्रति अपमानजनक व्यवहार के विरोध में आयोजित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन और उद्देश्य
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मिशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता राशि भूषण कुमार ने की, जबकि संचालन राकेश चौधरी ने किया। धरना का उद्देश्य मनुस्मृति के खिलाफ आवाज उठाना और संविधान की गरिमा को बचाना था। उपस्थित वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए और तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
मनुस्मृति दहन: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और संदेश
मनुस्मृति दहन का आयोजन 1927 में डॉ. अंबेडकर द्वारा किया गया था, जिसने समाज में समानता, बंधुता और न्याय का संदेश दिया। वक्ताओं ने कहा कि यह घटना भारतीय समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और प्रगतिशील विचारों के प्रसार का प्रतीक थी।
आज, 75 वर्षों से संविधान लागू होने के बावजूद, कुछ कट्टरपंथी ताकतें मनुस्मृति के विधानों को जबरदस्ती लागू करने की कोशिश कर रही हैं। यह न केवल समाज में भेदभाव और कट्टरता को बढ़ावा देता है, बल्कि संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
वक्ताओं की मुख्य बातें
- मनुस्मृति थोपने का प्रयास
वक्ताओं ने कहा कि मनुस्मृति के नियमों को लागू करने का प्रयास समाज में असमानता, पाखंड और अंधविश्वास को बढ़ावा देगा। यह भारतीय संविधान की समानता, बंधुता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के विपरीत है। - संविधान पर खतरा
आज के वैज्ञानिक युग में मनुस्मृति और सावरकरवादी विचारों को थोपने की कोशिश चिंताजनक है। वक्ताओं ने आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी पर इन विचारों को लागू करने का आरोप लगाया और इसे संविधान पर सीधा हमला बताया। - कुर्बानी के लिए तैयार
वक्ताओं ने संकल्प लिया कि संविधान को बचाने और मनुस्मृति जैसी विचारधारा को खारिज करने के लिए वे किसी भी हद तक जाएंगे। यह लड़ाई समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए है।
घोषणा और मांग
धरना में उपस्थित सभी लोगों ने सामूहिक रूप से यह घोषणा की:
संविधान के खिलाफ होने वाले किसी भी प्रयास का डटकर विरोध किया जाएगा।
गृह मंत्री अमित शाह को तत्काल माफी मांगनी चाहिए और अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए।
देश में मनुस्मृति जैसे घृणित विचारों को लागू करने के प्रयासों को कभी सफल नहीं होने दिया जाएगा।
कार्यक्रम ने संविधान के प्रति प्रतिबद्धता और मनुस्मृति जैसी असमानता फैलाने वाली विचारधारा के खिलाफ एकजुटता का संदेश दिया। अंबेडकरवादी संगठनों ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे भारतीय समाज में समानता, बंधुता और न्याय के सिद्धांतों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे।