DHANBAD | पद्मश्री कैलाश खेर ने सूफी गीतों से झुमाया

हिंदी साहित्य विकास परिषद के 44 वां स्थापना दिवस

DHANBAD | हिंदी साहित्य विकास परिषद के 44 वें स्थापना दिवस पर कैलाश खेर के गीतों को सुनने के लिए कार्यक्रम स्थल ग्राउंड गोल्फ पर भारी भीड़ जुटी। गीतों के साथ नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम के दौरान उपस्थित दर्शकों और अतिथियों को तालियां बजाने और थिरकने पर विवश कर दिया। लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा गोल्फ ग्राउंड गूंज उठा। शिव शंकर के भक्त और अपनी गायकी में शिव की महिमा गाने वाले सूफी गायक कैलाश खेर ने जब कोयलांचल की धरती पर अपने गाने सुनाएं तो समा बंध गया। गोल्फ ग्राउंड के मंच पर रंग जमा दिया। रविवार की रात कैलाशा के नाम रही। कैलाशा बैंड के साथ आए सूफी गायक कैलाश खेर के गानों ने दर्शकों का दिल जीत लिया। गोल्फ ग्राउंड के मंच पर कैलाश खेर ने हीरे मोती मैं ना चाहूं मैं चाहूं संगम तेरा,नी मैं जीना…, मैं तो तेरे प्यार में दीवाना हो गया… गाने के साथ शुरुआत की। पद्मश्री सूफी और आध्यात्मिक गानों के सरताज कैलाश खेर जब मंच पर आए तो तालियों को गड़गड़ाहट से ऑडिटोरियम गूंज गया। कार्यक्रम शुरू हुआ तो फिर दर्शकों की एक से बढ़कर एक गानों की फरमाइश आती रहीं। कैलाश खेर जब गा रहे थे तो ऐसा लगता है जैसे वे किसी दुनिया में खो गए हैं और सुनने वालों को भी वहीं ले जाते हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल की ए टू जेड बाय शिव डांस ग्रुप को भी अपने गानों पर खूब झुमाया। वॉइस ऑफ इंडिया फेम और कोयलांचल के लाल रचित अग्रवाल ने भी अपने बैंड के साथ प्रस्तुति देकर लोगों का खूब मनोरंजन किया।

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