Illegal Coal Trade in Barora | बरोरा थाना क्षेत्र में खुलेआम फल-फूल रहा कोयला माफियाओं का नेटवर्क
Illegal Coal Trade in Barora | बाघमारा अनुमंडल में प्रशासनिक मिलीभगत से संचालित हो रहा अवैध खनन
Illegal Coal Trade in Barora | धनबाद जिले के बाघमारा प्रखंड के बरोरा थाना क्षेत्र में इन दिनों अवैध कोयला कारोबार (Illegal Coal Trade) एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरा गोरखधंधा भाजपा सांसद व बाघमारा विधायक के आवास से महज कुछ दूरी पर खुलेआम चल रहा है। रामराज मंदिर चिटाहीधाम से लगभग एक किलोमीटर पहले यह अवैध कारोबार बीते कई महीनों से जारी है, जहां प्रतिदिन ट्रकों में कोयला लोड कर उसकी तस्करी की जा रही है।
CISF और स्थानीय पुलिस की चुप्पी पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि बरोरा थाना, CISF तथा बीसीसीएल के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से यह धंधा फल-फूल रहा है। हैरानी की बात यह है कि सांसद और विधायक द्वारा कई बार आवाज उठाने के बावजूद प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह से मौन है। ग्रामीणों का कहना है कि कोयला माफिया बेखौफ होकर ट्रकों से कोयला ले जा रहे हैं और पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है।
किसके संरक्षण में चल रहा है टुन्डू में ‘काले हीरे’ का खेल?
टुन्डू क्षेत्र में चल रहे इस काले हीरे के काले कारोबार को लेकर लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। आखिर इतने बड़े पैमाने पर ट्रकों में कोयले की ढुलाई हो रही है तो किसकी शह पर? पुलिस, CISF और जनप्रतिनिधियों की नाक के नीचे यह सब हो रहा है, फिर भी कार्रवाई न होना कई सवाल खड़े करता है। बरोरा पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है—क्या वह अनभिज्ञ है या फिर दबाव में?
उपायुक्त ने गठित किया टास्क फोर्स, फिर भी नहीं थमा अवैध कारोबार
धनबाद के उपायुक्त ने अवैध कोयला खनन सहित बालू, लोहा और पत्थर की तस्करी पर रोक लगाने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया है। सभी थाना और ओपी प्रभारियों को सख्त निर्देश भी दिए गए हैं, बावजूद इसके बाघमारा क्षेत्र में अवैध कारोबार थमता नहीं दिख रहा है। कोयला माफिया सरकारी आदेशों की खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लग रहा है।
निष्कर्ष
अवैध कोयला कारोबार पर निष्क्रियता बनी जन आक्रोश का कारण
बरोरा क्षेत्र में अवैध कोयला कारोबार का जारी रहना न केवल कानून व्यवस्था के लिए खतरा है, बल्कि यह प्रशासनिक निष्क्रियता और भ्रष्ट तंत्र की पोल भी खोलता है। सांसद और विधायक द्वारा आवाज उठाए जाने के बावजूद कार्रवाई न होना गंभीर चिंता का विषय है। यदि प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां इसी तरह चुप बैठी रहीं, तो आने वाले समय में आम जनता का विश्वास पूरी तरह से टूट सकता है। अब समय आ गया है कि जनप्रतिनिधियों के दावे और प्रशासनिक आदेश जमीन पर नजर आएं।