Jharia Hindi News || सर्दी के मौसम में जब ठंड अपने चरम पर होती है, तब गरीबों और जरूरतमंदों के लिए गर्म कपड़े किसी वरदान से कम नहीं होते। इसी सोच के साथ समाज में “नेकी की दीवार” की स्थापना की गई, जो बिना किसी भेदभाव के जरूरतमंदों तक सहायता पहुंचाने का एक सशक्त माध्यम बन चुकी है। यह दीवार न केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए सहारा बनी है, बल्कि समाज में दान और परोपकार की भावना को भी बढ़ावा देती है।
नेकी की दीवार: एक अनोखी पहल
नेकी की दीवार की शुरुआत 5 नवंबर 2017 को झरिया के राजा तालाब के सामने केसी गर्ल्स स्कूल की दीवार पर की गई थी। यह एक ऐसी पहल है, जहां लोग अपने घरों में अतिरिक्त कपड़े लाकर टांग सकते हैं और जरूरतमंद बिना किसी झिझक के उन्हें ले जा सकते हैं। यह एक ऐसा स्थान बन चुका है जहां बिना हाथ फैलाए गरीबों को उनकी जरूरत की चीजें मिल जाती हैं।
समाज की भागीदारी और जागरूकता
हर दिन बड़ी संख्या में लोग अपने पुराने लेकिन उपयोगी कपड़े यहां छोड़ जाते हैं। महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों में इस पहल को लेकर विशेष उत्साह देखने को मिलता है। न केवल झरिया के लोग, बल्कि दिल्ली, बैंगलोर, उड़ीसा, रांची और अन्य बड़े शहरों से भी लोग यहां आते हैं और अपना योगदान देते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो फोन पर संपर्क कर कपड़े और अन्य जरूरत का सामान दान में देते हैं।
विदेशी पर्यटकों का योगदान
नेकी की दीवार की प्रसिद्धि केवल भारत तक सीमित नहीं है। विदेशी पर्यटक भी इसे देखने आते हैं और अपना योगदान देते हैं। कुछ लोग इसे समाज सेवा का एक प्रेरणादायक उदाहरण मानते हैं और इसे अपने देश में भी अपनाने की इच्छा जताते हैं।
व्यवस्था और देखभाल
यह दीवार समय-समय पर संचालित और व्यवस्थित की जाती है ताकि जरूरतमंदों को साफ और अच्छे कपड़े मिल सकें। यदि कोई कपड़ा गिर जाता है या उपयोग योग्य नहीं रहता, तो उसे नियमित रूप से हटाकर नई वस्तुएं व्यवस्थित की जाती हैं।
नेकी का महत्व
“छोटी से छोटी नेकी को भी हकीर ना समझो, मुमकिन है वही खुदा की रज़ा का सबब बन जाए।”
यह दीवार केवल कपड़े देने-लेने का स्थान नहीं, बल्कि एक सामाजिक चेतना का प्रतीक बन चुकी है। यह सिखाती है कि यदि हर व्यक्ति अपनी आवश्यकता से अधिक चीजें जरूरतमंदों तक पहुंचाए, तो समाज में कोई भी व्यक्ति बेसहारा नहीं रहेगा।
निष्कर्ष
नेकी की दीवार ने यह साबित कर दिया कि यदि समाज के लोग एक-दूसरे के लिए सोचें और सहयोग करें, तो गरीबी और जरूरतमंदी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह पहल न केवल झरिया बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है और इसे अन्य स्थानों पर भी अपनाया जाना चाहिए।