Jharkhand News: झारखंड के मेधा घोटाले में बड़ा खुलासा: CBI ने 70 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की

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Jharkhand News: झारखंड के बहुचर्चित मेधा घोटाले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने चार्जशीट दायर कर दी है। जांच में झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की पहली और दूसरी परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर हुई धांधली का खुलासा हुआ है। इस मामले में JPSC के तत्कालीन अध्यक्ष समेत 70 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

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धांधली का बड़ा खेल: कॉपी में ओवरराइटिंग और नंबर बढ़ाने का मामला

CBI की जांच में यह बात सामने आई है कि JPSC की पहली (2004) और दूसरी (2008) परीक्षाओं में लगभग 100 अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में ओवरराइटिंग और छेड़छाड़ कर नंबर बढ़ाए गए।

  • उत्तर पुस्तिकाओं में हेरफेर:
    अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में जानबूझकर काट-छांट की गई और इंटरव्यू में भी नंबर बढ़ाकर उनकी योग्यता में हेरफेर की गई।
  • फॉरेंसिक जांच की पुष्टि:
    FSL (फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री) की जांच में यह साबित हो गया है कि अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं में बदलाव किए गए थे।

JPSC के वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल

CBI ने अपनी चार्जशीट में JPSC के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप कुमार प्रसाद, सदस्य राधा गोविंद नागेश और को-ऑर्डिनेटर परमानंद सिंह को मुख्य आरोपी बनाया है। इनके अलावा कई अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम भी इस मामले में शामिल हैं।

  • प्रमुख आरोपी:
    चार्जशीट में JPSC के तत्कालीन अध्यक्ष, सदस्य और को-ऑर्डिनेटर समेत कुल 70 लोगों के नाम शामिल हैं। इनमें से कुछ अधिकारी प्रमोशन पाकर डीएसपी से एसपी भी बन चुके हैं।

चार्जशीट में इन लोगों के नाम शामिल

CBI द्वारा दाखिल चार्जशीट में JPSC के तत्कालीन अध्यक्ष दिलीप कुमार प्रसाद, सदस्य गोपाल प्रसाद सिंह, शांति देवी, राधा गोविंद सिंह नागेश, एलिस उषा रानी सिंह, अरविंद कुमार, और अन्य कई अधिकारियों के नाम शामिल हैं।

इसमें को-ऑर्डिनेटर परमानंद सिंह, अल्बर्ट टोप्पो, एस. अहमद, मौसमी नागेश, लाल मोहन नाथ शाहदेव, प्रकाश कुमार, कुमारी गीतांजलि, संगीता कुमारी और कई अन्य प्रमुख नाम शामिल हैं।

घोटाले की शुरुआत और कानूनी प्रक्रिया

  • शुरुआत:
    JPSC की पहली और दूसरी परीक्षाओं के रिजल्ट क्रमशः 2004 और 2008 में जारी हुए थे। इन परीक्षाओं में धांधली के आरोप लगने के बाद झारखंड सरकार ने मामले की निगरानी जांच के आदेश दिए थे।
  • CBI जांच का आदेश:
    इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई। इसके बाद 2012 में हाईकोर्ट ने CBI को जांच का आदेश दिया।
  • हाईकोर्ट का सख्त कदम:
    हाईकोर्ट के तत्कालीन जस्टिस एनएन तिवारी ने प्रथम बैच के 20 अफसरों के वेतन पर रोक लगाते हुए सरकार को उनसे काम लेने से मना कर दिया था।

अगली सुनवाई 28 नवंबर को

मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को हाईकोर्ट में होगी। CBI ने कोर्ट को बताया है कि अब तक की जांच में पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं, जो धांधली को साबित करते हैं।