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झारखण्ड के पुरोधा शहीद निर्मल महतो की मनाई गई 37 वां शहादत दिवस, आजसू पार्टी के जिला प्रधान सचिव रामा शंकर तिवारी ने कार्यक्रम का किया नेतृत्व

झारखण्ड के पुरोधा शहीद निर्मल महतो की मनाई गई 37 वां शहादत दिवस, आजसू पार्टी के जिला प्रधान सचिव रामा शंकर तिवारी ने कार्यक्रम का किया नेतृत्व

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कतरास: खरखरी बाजार स्थित “सांसद आवासीय कार्यालय” में आजसू पार्टी के जिला प्रधान सचिव रामा शंकर तिवारी के नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ झारखण्ड के पुरोधा पुरुष तथा झारखण्ड अलग राज्य आंदोलन के प्रमुख नेताओं में एक शहीद निर्मल महतो के स्मृति चिन्ह पर माल्यार्पण कर 37 वां शहादत दिवस मनाया। श्री तिवारी ने निर्मल महतो के जीवनी में प्रकाश डालते हुए कहा कि निर्मल महतो का जन्म 25 दिसंबर 1950 ई. को झारखंड राज्य के सिंहभूम जिले के गॉंव उलिआन, जमशेदपुर में हुआ था। वह जगबंधु महतो और पिरिआ बाला महतो के चौथे पुत्र थे। निर्मल महतो 8 सितम्बर 1980 में पश्चिमी सिंहभूम जिला के बड गांव में आदिम जनजाति आंदोलन के अग्रणी आंदोलनकारी नेता थे। इस आन्दोलन में गोली कांड हुई जिसमे हजार से अधिक लोगों ने अपनी बलिदान दे दी। झारखंड के शहीद तेलंगा खड़िया के गांव को उन्होंने गोद लिया था, निर्मल महतो ने शोषण के विरुद्ध एवं गरीबों, मजदूरों, किसानों के हक के लिए आवाज उठायी और जमीनी स्तर पर युवाओं को जोड़ने का काम किया। उन्होंने 22 जून 1986 को आजसू का स्थापना किया। आजसू के नेताओं को आंदोलन की बारीकियों से अवगत कराने के लिए दार्जिलिंग में सुभाष घीसिंग और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के नेता प्रफुल्ल कुमार महंत व भृगु कुमार फूकन से मिलने असम भी भेजा झारखंड में इंटर फेल विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज के खिलाफ धनबाद बंद का आह्वान किया। झारखंड अलग राज्य के लिए आंदोलन ने इस कदर रफ्तार पकड़ ली कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी व तत्कालीन भारत के गृह मंत्री बूटा सिंह को दिल्ली में कई बार आजसू से वार्ता करनी पड़ी, आखिरकार झारखंड स्वायत्तशासी परिषद, फिर झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ, लेकिन यह देखने के लिए निर्मल महतो जीवित नहीं रहे। राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल महतो 8 अगस्त 1987 को लौहनगरी जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित चमरिया गेस्ट हाउस के बाहर निकल रहे थे। उनके साथ सूरज मंडल और झामुमो के अन्य नेता भी थे। इसी वक्त पहले से घात लगाकर बैठे कुछ दुश्मनों ने निर्मल महतो पर गोलियां बरसा दीं। तीन गोलियां निर्मल महतो को लगीं और घटनास्थल पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया। श्री तिवारी ने सभी कार्यकताओं को शहीद निर्मल बाबू के बनाए नीति और विचारों पर चल झारखण्ड राज्य का काया कल्प करने का शपथ दिलाया। इस मौके प्रखण्ड उपाध्यक्ष विकाश सरकार, प्रखण्ड सचिव प्रेम कुमार तिवारी, गौतम गोप, मदन पाण्डेय, जीतन नापीत, मिथुन बाऊरी, अजय पासवान, विशाल नापीत, राजेश तिवारी, दीपू रवानी, सहदेव कर्मकार, चिराग पासवान, शेख संटू, किशोर कुमार, प्रदीप कुमार सिंह, वीरू सिंह, चन्दन सिंह, सुमित कुमार इत्यादी शामील थे।