Kalpana Soren | झारखंड मुक्ति मोर्चा ने घोषित की नई केंद्रीय कार्यसमिति, कल्पना सोरेन का राजनीतिक कद बढ़ा
Kalpana Soren | झारखंड की सत्ता में काबिज झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अपने 13वें महाधिवेशन के बाद संगठन को सशक्त करने के उद्देश्य से नई केंद्रीय कार्यकारिणी समिति की घोषणा कर दी है। आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनज़र पार्टी संगठनात्मक रूप से खुद को पहले से तैयार कर लेना चाहती है। इस नई कार्यकारिणी में कई वरिष्ठ चेहरों के साथ-साथ कुछ नए और महत्वपूर्ण नामों को भी शामिल किया गया है।
कल्पना सोरेन की नई भूमिका, सियासी सफर को मिली गति
इस बार कार्यकारिणी में सबसे प्रमुख नाम हैं गांडेय विधायक और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन, जिन्हें पहली बार केंद्रीय कार्यसमिति में स्थान दिया गया है। इससे यह साफ होता है कि पार्टी उनकी राजनीतिक सक्रियता और भूमिका को आगे बढ़ाना चाहती है। उनके अलावा मुख्यमंत्री के भाई बसंत सोरेन और बहन अंजलि को भी कार्यकारिणी में शामिल किया गया है, जो बताता है कि पार्टी नेतृत्व अब संगठन में परिवार के अनुभव और प्रभाव को ज्यादा अहमियत दे रहा है।
केंद्रीय कार्यसमिति में अनुभवी नेताओं का समावेश
14 और 15 अप्रैल 2025 को रांची के खेलगांव में आयोजित महाधिवेशन के बाद घोषित कार्यकारिणी में 63 वरिष्ठ नेता शामिल किए गए हैं, जिनमें दिशोम गुरु शिबू सोरेन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, रूपी सोरेन, सभी सांसद, विधायक, और यहां तक कि झारखंड विधानसभा अध्यक्ष को भी स्थान मिला है।
नेतृत्व पदों का बंटवारा: अनुभवी और नए चेहरों की संतुलित टीम
- शिबू सोरेन को पार्टी का संस्थापक संरक्षक बनाया गया है
- हेमंत सोरेन को पुनः पार्टी का केंद्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया है
- रूपी सोरेन को उपाध्यक्ष बनाया गया है
- इनके साथ प्रो. स्टीफन मरांडी, सविता महतो, सरफराज अहमद, मथुरा प्रसाद महतो, वैद्यनाथ राम, और रामदास सोरेन को भी उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई है
- विनोद पांडेय, सुप्रियो भट्टाचार्य, जौबा मांझी, मिथिलेश ठाकुर और फागू बेसरा को केंद्रीय महासचिव नियुक्त किया गया है
निष्कर्ष
कल्पना सोरेन के प्रवेश से बदलेगा जेएमएम का सियासी समीकरण
झारखंड मुक्ति मोर्चा की नई कार्यकारिणी से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि पार्टी परिवार, संगठन और अनुभव के संतुलन के साथ आगामी चुनावों की तैयारी कर रही है। कल्पना सोरेन की केंद्रीय कार्यसमिति में एंट्री न केवल उनकी राजनीतिक यात्रा की दिशा तय करती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि वे भविष्य में झारखंड की राजनीति में प्रमुख भूमिका निभा सकती हैं। जेएमएम की यह नई संरचना राज्य की राजनीति में नए समीकरण बनाने का संकेत देती है।