CPIM Sindri Baliyapur Local Committee Meeting Opposes Forced Land Acquisition in Asanbani Area
Land Acquisition Protest by Farmers in Tasra Project: रंगामाटी में संपन्न हुई बैठक में ग्रामीणों के संघर्ष को मिला समर्थन
Land Acquisition Protest by Farmers in Tasra Project: 31 मई – CPI(M) Sindri Baliyapur Local Committee की एक महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार को रंगामाटी में सूर्य कुमार सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस बैठक में TASRA Project Land Acquisition Issue को लेकर गहन चर्चा हुई, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि आसनबनी, सरसाकुड़ी और कालीपुर मोजा की रैयत भूमि का जबरन अधिग्रहण स्वीकार नहीं किया जाएगा।
रैयत किसानों के संघर्ष को बताया न्यायपूर्ण
बैठक को संबोधित करते हुए काली सेन गुप्ता ने कहा कि यदि रैयत किसान अपनी भूमि सेल के टासरा प्रोजेक्ट को देना नहीं चाहते, तो उनके अधिकारों का हनन करके जबरन भूमि अधिग्रहण करना सरासर अन्याय है। उन्होंने कहा कि विस्थापितों को बसाने के नाम पर एक अन्य गांव के लोगों को उजाड़ना स्वीकार्य नहीं है।
भूमि के नीचे खनिज नहीं, फिर क्यों जबरन अधिग्रहण?
लोकल कमिटी सचिव विकास कुमार ठाकुर ने तर्क दिया कि जब आसनबनी जैसे क्षेत्रों की जमीन के नीचे कोई खनिज संपदा नहीं है, तो फिर किस उद्देश्य से वहां के किसानों की भूमि को अधिग्रहित किया जा रहा है? यह सवाल अब व्यापक जन समर्थन का मुद्दा बन चुका है।
बैठक में हुए महत्वपूर्ण निर्णय
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पार्टी किसी भी सूरत में जबरन भूमि अधिग्रहण को सफल नहीं होने देगी। संघर्षरत ग्रामीणों को राजनीतिक और संगठनात्मक समर्थन प्रदान किया जाएगा और ज़रूरत पड़ने पर आंदोलन को तेज किया जाएगा।
वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति और रणनीति
बैठक में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं किसान सभा से जुड़े संतोष कुमार महतो, पूर्वी झरिया लोकल कमिटी सचिव योगेंद्र महतो, बलियापुर शाखा सचिव समीरन विद, गौतम प्रसाद, राज नारायण तिवारी, अधिवक्ता निताई रवानी, उपासी महताइन, रानी मिश्रा समेत कई सक्रिय कार्यकर्ता उपस्थित थे। सभी ने एकमत से रैयत किसानों के हक में संघर्ष जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई।
निष्कर्ष
रैयत किसानों के हक की लड़ाई में CPI(M) का साथ
CPI(M) Sindri Baliyapur द्वारा आयोजित यह बैठक न केवल भूमि अधिग्रहण के खिलाफ चल रहे आंदोलन को ताकत देने वाली है, बल्कि यह एक सामाजिक चेतना का भी प्रतीक है जिसमें रैयत किसान अपने अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर खड़े हैं। Tasra Project Land Issue अब सिर्फ एक स्थानीय संघर्ष नहीं, बल्कि जनविरोध की मुखर आवाज बन चुका है।