Legal Awareness Camp | जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जागरूकता शिविर का किया गया आयोजन

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Legal Awareness Camp | संप्रेषण गृह धनबाद में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने आयोजित किया जागरूकता शिविर

Legal Awareness Camp | बच्चों की प्रतिभाओं को निखारने पर दिया गया जोर

Legal Awareness Camp | बच्चों को देश का भविष्य बताते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (Legal Services Authority) के सचिव सह अवर न्यायाधीश मयंक तुषार टोपनो ने कहा कि बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, बस उन्हें सही मार्गदर्शन और अवसर की आवश्यकता है। सोमवार को वे बरमसिया स्थित संप्रेषण गृह में बाल बंदियों से रूबरू हुए, जहां उनके साथ एलएडीसीएस के चीफ कुमार विमलेंदु और डिप्टी चीफ अजय कुमार भट्ट भी मौजूद रहे। निरीक्षण के दौरान बाल बंदियों ने अपनी विभिन्न समस्याएं साझा कीं, जिनके समाधान के लिए न्यायाधीश ने संप्रेषण गृह प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिए और त्वरित कार्रवाई का आश्वासन भी दिया।

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विधिक जागरूकता शिविर में बच्चों को दी गई कानूनी जानकारी

निरीक्षण के साथ-साथ संप्रेषण गृह में एक विशेष विधिक जागरूकता शिविर (Legal Awareness Camp) का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर किशोर न्याय बोर्ड की प्रधान न्यायिक दंडाधिकारी नूतन एक्का, सदस्य पूनम सिंह और अजय कुमार समेत एलएडीसीएस की टीम ने बच्चों को विभिन्न कानूनी अधिकारों एवं संरक्षण से संबंधित जानकारी प्रदान की। चर्चा के दौरान किशोर न्याय की निर्दोषता की अवधारणा, गरिमा और स्वाभिमान का महत्व, सुने जाने का अधिकार, सर्वोत्तम हित सिद्धांत, पारिवारिक उत्तरदायित्व और सुरक्षा के सिद्धांतों पर विशेष जोर दिया गया।

कानूनों की गहराई से दी गई जानकारी

शिविर में बच्चों को किशोर न्याय अधिनियम 2015, बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 (POCSO Act), और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रमुख प्रावधानों की जानकारी दी गई। वक्ताओं ने बच्चों को उनके अधिकारों और कानूनी सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूक करते हुए बताया कि कैसे ये कानून उनकी रक्षा के लिए बने हैं।

बच्चों के संरक्षण और पुनर्वास पर चर्चा

विधिक जागरूकता शिविर के दौरान खोए हुए, सड़क पर कार्यरत, बाल मजदूरी से पीड़ित, अवैध व्यापार में फंसे, उपेक्षित, प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित, निशक्त, एचआईवी पीड़ित, अनाथ, बाल विवाह के शिकार और मानव जनित आपदाओं से प्रभावित बच्चों की देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता पर भी गहन चर्चा की गई।

किशोरों की सामाजिक पृष्ठभूमि रिपोर्ट तैयार करने का महत्व

शिविर में किशोरों की सामाजिक पृष्ठभूमि रिपोर्ट (Social Background Report) तैयार करने पर भी विशेष सत्र रखा गया। इसमें परिवार के सदस्यों की संख्या, पेशा, मासिक आय, साक्षरता स्तर और बच्चों की शैक्षणिक परिस्थितियों जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला गया ताकि बाल बंदियों के समुचित पुनर्वास की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।

निष्कर्ष

संप्रेषण गृह में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित यह जागरूकता शिविर न केवल बच्चों को उनके कानूनी अधिकारों के प्रति जागरूक करने का एक प्रयास था, बल्कि उनके समुचित विकास, पुनर्वास और सामाजिक पुनर्स्थापन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी सिद्ध हुआ। इस तरह के कार्यक्रम बच्चों के भविष्य निर्माण में एक सकारात्मक भूमिका निभाते हैं।