Locked Library in Katras College: शिक्षा की उपेक्षा या लापरवाही? कतरास कॉलेज में वर्षों से बंद पड़ी है टाटा स्टील के CSR फंड से निर्मित लाइब्रेरी
Locked Library in Katras College: जहां एक ओर देशभर में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और छात्रों को संसाधनों से जोड़ने की कोशिशें हो रही हैं, वहीं धनबाद जिले के कतरास कॉलेज में एक गंभीर लापरवाही सामने आई है। बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय (BBMKU) से संबद्ध इस कॉलेज की वह लाइब्रेरी, जो वर्ष 2017-18 में टाटा स्टील के CSR फंड से लगभग 20 लाख रुपये की लागत से बनाई गई थी, पिछले कई वर्षों से ताले में बंद है।
किताबें धूल में, शिक्षा की पूंजी बर्बाद
इस आधुनिक पुस्तकालय का शिलान्यास तत्कालीन (वर्तमान) सांसद ढुलू महतो द्वारा किया गया था और यह एक समय छात्रों की तैयारी का प्रमुख केंद्र हुआ करता था। जानकारी के अनुसार, पूर्व लाइब्रेरियन कुलदीप पांडेय के सेवा काल में लगभग दो वर्षों तक छात्र नियमित रूप से इसका उपयोग करते थे, लेकिन उनके सेवानिवृत्त होने के बाद लाइब्रेरी के गेट पर ताला जड़ दिया गया, जो आज तक नहीं खुला।
संसाधन बने कबाड़: प्रशासन की बेरुखी
लाखों रुपये की शैक्षणिक किताबें आज धूल और दीमक की भेंट चढ़ चुकी हैं। लंबे समय से देखरेख के अभाव में ये पुस्तकें कबाड़ जैसी हालत में पहुंच गई हैं, और कॉलेज प्रशासन की ओर से कोई गंभीर पहल नहीं दिखाई गई है।
जब इस मुद्दे पर प्रभारी प्राचार्य से सवाल किया गया, तो उन्होंने गैर-जिम्मेदाराना बयान देते हुए कहा, “लाइब्रेरी में आलतू-फालतू किताबें हैं, कोई जरूरी चीज नहीं है।” यह वक्तव्य शिक्षा की गरिमा और छात्रों की जरूरतों का अपमान करता प्रतीत होता है।
क्या किताबें गायब कर दी गईं? उठ रहे हैं गंभीर सवाल
लाइब्रेरी में वर्षों से लगे ताले ने छात्रों और स्थानीय नागरिकों के बीच शंकाएं खड़ी कर दी हैं। क्या किताबें गायब कर दी गईं? यदि नहीं, तो उन्हें छात्रहित में क्यों नहीं खोला जा रहा? क्या प्रशासन उत्तरदायित्व से बच रहा है?
CSR Fund का दुरुपयोग: शिक्षा पर कुठाराघात
CSR (Corporate Social Responsibility) फंड का उद्देश्य शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सामाजिक विकास करना होता है। लेकिन जब ऐसे फंड से बनी लाइब्रेरी को वर्षों तक बंद रखा जाता है, तो यह सिर्फ संसाधनों की बर्बादी नहीं, बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ धोखा भी है।