लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष | शक्तियां और भूमिकाएं | सैलरी और सुविधाएं

ऐसे सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को सदन में विपक्ष के नेता/नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) के रूप में मान्यता दी जाती है जिसने सदन की कुल सीटों का कम से कम दसवें हिस्से पर विजय हासिल की हो। वह सरकार की नीतियों की रचनात्मक आलोचना करता है और एक वैकल्पिक सरकार प्रदान करता है।दोनों सदनों में विपक्ष के नेता को वर्ष 1977 में वैधानिक मान्यता दी गई थी और वे कैबिनेट मंत्री के बराबर वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं के हकदार हैं। विपक्ष के नेता के पद का उल्लेख संविधान में नहीं बल्कि संसदीय संविधि में है।

वह सरकार की नीतियों की रचनात्मक आलोचना करता है और एक वैकल्पिक सरकार प्रदान करता है। दोनों सदनों में विपक्ष के नेता को वर्ष 1977 में वैधानिक मान्यता दी गई थी और वे कैबिनेट मंत्री के बराबर वेतन, भत्ते और अन्य सुविधाओं के हकदार हैं। विपक्ष के नेता के पद का उल्लेख संविधान में नहीं बल्कि संसदीय संविधि में है।

नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) को विभिन्न संसदीय समितियों, जैसे लोक लेखा समिति  और चयन समिति में सदस्यता दी जाती है, साथ ही संसदीय समितियों द्वारा लिए गए निर्णय में विपक्ष के नेता का अहम रोल होता है. 

लोकसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका सदन के नेता के ठीक उलटा होती है, लेकिन फिर भी यह जिम्मेदारी बहुत अहम मानी जाती है। लोकतांत्रिक सरकार में विपक्ष एक अनिवार्य हिस्सा होता है। विपक्ष से प्रभावी आलोचना की उम्मीद की जाती है, इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि संसद का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा विपक्ष है। सत्तारूढ़ पार्टी सरकार चलाती है और विपक्ष आलोचना करता है।

कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है पद
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) एक महत्वपूर्ण पद होता है। ये कैबिनेट मंत्री के बराबर का पद होता है। नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) विपक्ष कई अहम कमेटियों में शामिल होता है। वह सीबीआई और ईडी के अलावा केंद्रीय जांच एजेसियों के डायरेक्टर चुनने की प्रोसेस का भी हिस्सा होता है। वहीं सेंट्रल विजिलेंस कमीशन, सूचना आयुक्त और लोकपाल की नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस मामले में उनकी राय ली जाती है।  नेता प्रतिपक्ष के पास शैडो कैबिनेट भी होती है। 

  • केंद्रीय मंत्री के बराबर मिलती है सैलरी
    लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) को कैबिनेट मंत्री के बराबर (मासिक वेतन और भत्ते ₹3.30 लाख) वेतन, भत्ते और बाकी सुविधाएं दी जाती है। नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री की तरह ही सरकारी बंगला, ड्राइवर सहित कार और 14 लोगों का स्टाफ भी उपलब्ध करवाया जाता है। 

किस पार्टी को मिलता है नेता प्रतिपक्ष का पद
कानूनी प्रावधानों के अनुसार, विपक्ष में उस पार्टी को नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) का पद मिलता है, जिसे लोकसभा में दस प्रतिशत सीटें मिलती हैं। इसके अलावा कोई और पार्टी इस पर दावा नहीं कर सकती है। 

नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) के पास कैबिनेट मंत्री का दर्जा होता है. हालांकि सिर्फ यही कारण नहीं है, जिसके कारण यह पद बेहद महत्‍वपूर्ण माना जाता है. दरअसल नेता प्रतिपक्ष विपक्ष की जिम्‍मेदारी निभाने के साथ ही कई संयुक्‍त संसदीय पैनलों और चयन समितियों का भी हिस्‍सा होता है. इनमें सीबीआई के डायरेक्‍टर, सेंट्रल विजिलेंस कमिश्‍नर, भारत निर्वाचन आयोग के मुख्‍य चुनाव आयुक्‍त और चुनाव आयुक्‍तों की नियुक्ति, मुख्‍य सूचना आयुक्‍त, लोकायुक्‍त और राष्‍ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्‍यक्ष और सदस्‍यों को चुनने वाली समितियां शामिल हैं. नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी का इन फैसलों में सीधी दखल होगी. इन कमेटियो के फैसलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही अब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की सहमति भी जरूरी होगी. 

नेता प्रतिपक्ष विपक्ष (Leader of Opposition) में बैठने वाले नेता को कहते हैं. हालांकि जिस दल के पास सदन की कुल सीटों का 10 फीसदी सीट होता है. उसी दल के एक सांसद को सहमति से विपक्ष का नेता चुना जाता है. बता दें कि अगर विपक्ष के किसी भी दल के पास कुल सीटों का 10 फीसदी नहीं है तो उस स्थिति में सदन में कोई भी विपक्ष का नेता नहीं हो सकता है.