11 Walk Free: 2006 मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों में आया अहम मोड़
2006 में हिले थे मुंबई के प्लेटफॉर्म, अब कोर्ट ने 11 आरोपियों को किया रिहा
Mumbai Blast Case: मुंबई में 2006 के सिलसिलेवार लोकल ट्रेन बम धमाकों के मामले में बड़ा मोड़ सामने आया है। इस बहुचर्चित आतंकवादी हमले के 19 साल बाद कोर्ट ने 13 आरोपियों में से 11 को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए जा सके। इस फैसले के साथ ही उन परिवारों में मायूसी है जिन्होंने इस हमले में अपने प्रियजनों को खोया था।
क्या था 2006 का मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामला
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में महज 11 मिनट के भीतर 7 धमाके हुए थे। इन धमाकों में करीब 189 लोगों की जान चली गई थी और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह हमला भारत की सबसे व्यस्त लोकल ट्रेनों को टारगेट कर किया गया था, जिसमें RDX और प्रेसर कुकर बम का इस्तेमाल किया गया था।
NIA और एटीएस की जांच पर सवाल
मामले में पहले महाराष्ट्र एटीएस और फिर NIA ने जांच की थी। जांच के आधार पर कई आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और ट्रायल शुरू हुआ। लेकिन अदालत ने पाया कि आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त और ठोस सबूत पेश नहीं किए गए। कोर्ट ने यह भी कहा कि गवाहों की गवाही और तकनीकी सबूतों में विरोधाभास था।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस फैसले पर जहां कुछ मानवाधिकार संगठनों ने लंबी कानूनी प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, वहीं पीड़ितों के परिजनों ने न्याय न मिलने पर नाराजगी जताई है। कई नेताओं ने भी यह मांग की है कि जांच एजेंसियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए और दोषियों को छोड़ा नहीं जाना चाहिए।
निष्कर्ष
19 साल की लंबी लड़ाई और सुनवाई के बाद, 11 लोगों को निर्दोष करार दिए जाने से यह सवाल फिर उठ खड़ा हुआ है कि क्या हमारी न्याय व्यवस्था और जांच एजेंसियां इतने बड़े मामलों में पीड़ितों को न्याय दिला पाने में सक्षम हैं? यह केस अब केवल एक कानूनी मामला नहीं, बल्कि देश की न्याय प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी बहस बन गया है।
